Amravati New: अब तक एक भी निर्दलीय चुनाव नहीं जीत पाया, कांग्रेस-भाजपा में रहा मुकाबला

  • मतदाताओं ने 1962 से लेकर अब तक हर चुनाव में मुख्य पार्टियों को ही तवज्जो दी
  • केवल दो पार्टी पर जनता ने विश्वास जताया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-07 15:10 GMT

Amravati News : शहर के मतदाताओं ने 1962 से लेकर अब तक हर चुनाव में पार्टी को ही तवज्जो दी है। उस पर भी केवल दो पार्टी पर जनता ने विश्वास जताया है। इसीलिए जीत का सेहरा अब तक केवल कांग्रेस और भाजपा के सिर पर ही सजा है। तीन बार का कार्यकाल छोड़ दिया जाए तो अमरावती शहर में शुरू से लेकर अब तक कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। सूबे के निर्माण से लेकर अब तक शहर के नागरिकों ने कभी भी किसी निर्दलीय प्रत्याशी को जीत का स्वाद नहीं चखाया है। अमरावती शहर में सिर्फ पार्टी के उम्मीदवार ही जीत दर्ज करवाते आ रहे हैं।

बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद 1992 में मुंबई बम ब्लास्ट जैसे विविध कारणों से राजनीति के समीकरण बदले। इस दौरान सूबे में दो बार भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनी। इस बदलाव से अमरावती शहर और जिला भी अछूता नहीं रहा। 1990 और 1995 में लगातार दो बार यहां से भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की। इसके बाद वर्ष 2014 की मोदी लहर में फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत का स्वाद चखा। इन तीनों टर्म को छोड़ दिया जाए तो शेष कार्यकाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नाम रहा। इस दौरान हर बार के चुनाव में पार्टी से इतर सैकड़ों निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतरे लेकिन 1990 में एकमात्र निर्दलीय उम्मीदवार को छोड़ दिया जाए तो शेष उम्मीदवार हजार के वोट का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए हैं।

वर्ष     विजयी उम्मीदवार        पार्टी

1962 उमरलाल केड़िया -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967 के.एन.नवाथे -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1972 दत्तात्रय मेटकर -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1978 सुरेंद्र भुयार -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1980 सुरेंद्र भुयार -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1985 डॉ. देवीसिंह शेखावत -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1990 जगदीश गुप्ता -भारतीय जनता पार्टी

1995 जगदीश गुप्ता -भारतीय जनता पार्टी

1999 डॉ. सुनील देशमुख -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

2004 डॉ. सुनील देशमुख -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

2009 रावसाहेब शेखावत -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

2014 डॉ. सुनील देशमुख -भारतीय जनता पार्टी

2019 सुलभा खोड़के -भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

मुर्गी-मोर ने ढाया था कहर

1990 के चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हाशिये पर चली गई थी। उस समय कांग्रेस-भाजपा और मोर चुनाव चिन्ह पर उतरे निर्दलीय उम्मीदवार के बीच सीधी टक्कर हुई थी। उस समय तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली गई थी जबकि भाजपा और निर्दलीय मोर के बीच सीधा और दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला था। इसी बीच मुर्गी विलेन बनकर बीच में आ गया थी और फुदकते मोर की लय को मुर्गी ने बिगाड़ दिया था। मुर्गी और मोर के चिन्ह में कोई खास फर्क नहीं दिखाई देने से मुर्गी ने उम्मीद से कई गुना वोट हासिल कर लिए थे।

Tags:    

Similar News