चुनावी घमासान: क्रिकेटर की किस्मत से प्रभावित होगी अगले बरस की चुनावी राजनीति

राहुल गांधी के खास समर्थक की दावेदारी रह गई पीछे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-25 06:11 GMT

जुबली हिल्स से प्रकाश दुबे । दक्खन के पठार में करीब सौ शाखाओं वाले सबसे बड़े माॅल के आसपास लगभग सारी दुकानों और कारोबारी प्रतिष्ठानों में एक समानता है। सबके नाम संस्कृतनिष्ठ या तेलुगु हैं। लेकिन सारी इबारतें रोमन लिपि में हैं। मुनाफे के लिए हर नुस्खे का इस्तेमाल यहां की राजनीति में भी होता है।

पांच साल पहले तक मुख्य रूप से निवासी बस्ती अब कारोबारी हैं। इसलिए यहां भी कारोबार एक बार फिर राजनीति की बदलती करवट का अंदाज दे रहा है। पहली बात तो यह कि क्रिकेट की तरह क्रिकेटर की जीत हार से 2024 की रणनीति नया रूप लेगी। तो पहले बात क्रिकेट की करें। एक मार्च 2014 को एक क्रिकेटर ने ऐसा बल्ला घुमाया कि कांग्रेस तहस-नहस हो गई। कांग्रेसी किरण कुमार रेड्डी को कांग्रेस ने 16 वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। आंध्र प्रदेश के विभाजन के विरोध में एक मार्च 2014 को उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर है। 

अब बात जुबली हिल्स की। मुरादाबाद- उप्र से लोकसभा सदस्य, तेलंगाना कांग्रेस के कार्याध्यक्ष वगैरह रह चुके पूर्व क्रिकेट कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित किया। उनकी खातिर राहुल गांधी के खास समर्थक की दावेदारी पीछे रह गई। 2009 में कांग्रेस टिकट पर जीते विष्णुवर्धन रेड्डी की कोशिशें भी बेकार गईं। कांग्रेस किसी कीमत पर इस समृद्ध बस्ती को वापस अपने खाते में चाहती है जहां तेलुगु फिल्म के अनेक नामी सितारे रहते हैं। अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नर चंद्रबाबू नायडू के साले सुपरस्टार बालकृष्ण भी यहीं रहते हैं। वे तेलुगु देसम पार्टी के आंध्र प्रदेश से विधायक हैं। क्रिकेट सितारे अजहर का मुकाबला तेलंगाना राष्ट्र समिति से है जिसके विधायक गोपीनाथ 20014 में तेलुगु देशम पार्टी से जीते और बाद में आज की भारत राष्ट्र समिति के शामिल हुए। वे 2019 में भी जीते। गोपीनाथ की जीत के लिए सबसे बड़ी कुर्बानी आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन ने दी। पिछले चुनाव में भारी मत पाने वाली एएएमआईएम ने मोहम्मद रशीद फराजुद्दीन को मैदान में उतारा है। फराज मियां का प्रचार दक्खनी हिंदी की चटक भरे गानों के साथ जारी है। तय है कि उनकी उम्मीदवारी से गोपीनाथ का संकट मोचन करने की रणनीति बिछाई गई है। साढ़े तीन लाख मतों वाले क्षेत्र में करीब सवा लाख मतों को बांटने से कांग्रेस को रोकने में मदद मिल सकती है। व्यापारी बस्ती की गलियों में बसी आबादी को बांटने में भाजपा के दीपक रेड्डी मदद करेंगे। अजहर के प्रचार में अब तक किसी क्रिकेटर के शामिल होने की जानकारी नहीं है। फिल्मी हस्तियां भी देरी रख रही हैं। अन्यत्र भाजपा का प्रचार करने वाले पवन कल्याण जुबली हिल्स नहीं पहुंचे। दो महीने पहले किरण कुमार भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वे भी प्रचार में सक्रिय नहीं हें। अजहर के खिलाफ सबसे बड़ा प्रचार है कि वे तो जीतने के बाद नजर नहीं आएंगे।संगीता बिजलानी से अजहर के तलाक जैसे चटखारों पर किसी का ध्यान नहीं है। हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन में आर्थिक गड़बड़ी का मामला भी चर्चित नहीं है। निवर्तमान विधायक गोपीनाथ एक पुकार पर भागे आते हैं। दक्षिण के दूसरे राज्य को कांग्रेस में जाने से रोकने के लिए नए गैर कांग्रेसवाद की रणनीति में कुछ दल सीधे या परोक्ष रूप से साथ आ रहे हैं।

ओवैसी दावा कर सकते हैं कि हमने तो हिंदू तक को टिकट दिया। उन्हें इस प्रचार का जवाब देने में जरूर परेशानी है कि चंद्रशेखर राव को बचाने के लिए सिर्फ नौ उम्मीदवार क्यों खड़े किए और दूसरे यह कि अजहर को पटखनी देने से उनका क्या फायदा है? नामी वकील की पत्नी जया मोहन कहती हैं कि हम जैसे मतदाता क्षेत्र के विकास का ध्यान रखकर सोचती हैं। चंद्रशेखर राव की सरकार और विधायक गोपीनाथ ने काफी काम किया है। इसी क्षेत्र के बाशिंदे के कृष्ण का दिल भाजपा के साथ है। इस बार वे गोपीनाथ के पक्ष में हैं। उनका सीधा कहना है कि हम किसी कीमत पर कांग्रेस की सरकार नहीं चाहते। मटन की दुकान में काम करने वाले फजलू अपनी राय पेशे से जुड़कर देते हैं-मियां, हलाल तो बकरा होता है। हमारी और उसकी नस्ल में बहुत फर्क नहीं है।

अजहरुद्दीन की जीत से देश भर की राजनीति प्रभावित होगी। उत्तर भारत में बहुजन समाज पार्टी से लेकर अन्य छोटे दल सत्ता पक्ष की पसंद के उम्मीदवार खड़े करते हैं। दक्षिण में भी इस नुस्खे का असर हुआ तो अजहर उर्फ अज्जू की गिल्ली उड़ जाएगी। इसका दूरगामह असर 2024 के चुनाव पर पड़ेगा।

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