उपाय: वन्यजीवों से फसलों को बचाने के लिए खेतों में लगाया जा रहा साड़ियों का सुरक्षा घेरा
- खेतों में लहलहाती फसल को बचाने करनी पड़ रही जद्दोजहद
- जंगली सुअर कर देते हैं फसलों को तहस-नहस
- किसान वन विभाग से मांग रहे मदद
डिजिटल डेस्क, दर्यापुर (अमरावती) । किसानों द्वारा फसलों की सुरक्षा के लिए क्या-क्या करना पड़ रहा है, इसका अनुभव यहां से गुजरने वाले लोगों को आता है। रबी मौसम में किसानों ने विभिन्न अनाज दलहनी फसलें लगाई हैं। फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए अधिकांश किसान रात में खेत के मचान पर चढ़कर फसलों की रखवाली कर रहे हैं। इसी कड़ी में दर्यापुर तहसील के गोलेगांव में फसलों की सुरक्षा के लिए पुरानी साड़ियों को सुरक्षा दीवार बना रहे हैं। तहसील को खारपानपट्टा क्षेत्र के रूप में पहचाना जाता है। इसमें चने की बुआई मुख्य रूप से रबी मौसम के दौरान होती है। इसके अलावा गेहूं, ज्वार, मक्का, तिल, प्याज, ओवा और अन्य फसलों की खेती की गई है।
इस समय रबी की फसलें लहलहा रही हैं। शहर के चारों ओर और तहसील की खेत की सीमाओं के साथ जंगल होने के कारण जंगली जानवरों की मुक्त आवाजाही होती है। जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किसान रात में भी काम कर रहे हैं। सुरक्षा के लिए साड़ी की बाड़: दिन में बंदरों के झुंड और रात में जंगली सुअर, हिरण व अन्य जानवरों के उत्पात से ग्रामीण क्षेत्रों के किसान परेशान हैं। एहतियात के तौर पर कुछ किसानों ने जंगली सुअरों को डराने के लिए अपने खेतों में रंगीन साड़ियों से बाड़ लगा दी है। फिर भी जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। फसलों को जानवरों से बचाने के लिए किसानों को तरह-तरह के उपाय करने की स्थिति बनी हुई है।
फसल बचाने करनी पड़ती है कड़ी मशक्कत : हर साल जंगली सुअर खरीफ सीजन की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। नतीजतन किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब रबी की फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए किसानों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। वन विभाग को पहल कर वन्य प्राणियों पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाना चाहिए। -श्रीजीत पाटील ठाकरे, किसान, गोलेगांव.