समीक्षा: प्रधानमंत्री आवास योजना की एजेंसी को ब्लैक लिस्ट में डालो : पाटील
मनपा की खस्ता हालत को देखकर दु:खी हुए पालकमंत्री
डिजिटल डेस्क, अमरावती। अमरावती जिले के पालकमंत्री चंद्रकांत पाटील को बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के काम करने के लिए 61 करोड़ रुपए का टेंडर निकाला। ठेकेदार की धीमी गति से काम करने के कारण उसके लगातार रेट बढ़ गए हैं। उसने 10 फीसदी ही काम किया और उसे 21 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। इस पर पालकमंत्री पाटील ने कहा कि संबंधित कंपनी को ब्लैक लिस्ट में डाल दो। आगे से एक एजेंसी अपना काम दूसरी एजेंसी को न दे इसका ध्यान रखो। वह शुक्रवार 24 नवंबर को मनपा मुख्यालय के सभागृह में मूलभूत सुविधाओं की समीक्षा बैठक में बोल रहे थे। इस दौरान वह मनपा की आर्थिक स्थिति, राजस्व और समस्याओं को सुनकर दु:खी दिखाई पड़े। बैठक में सांसद डॉ. अनिल बोंडे, विधायक प्रवीण पोटे, जिलाधिकारी सौरभ कटियार, मनपा आयुक्त देवीदास पवार, तुषार भारतीय, चेतन गावंडे, जुम्मा प्यारेवाले, संजय नरवणे, चकुसुम साहू, सचिन रासने, सुनील काले आदि उपस्थित थे।
सिर्फ 10 हजार घरों को सीवर लाइन से जोड़ा : अधिकारियों ने जानकारी देते बताया कि अमरावती मनपा में 1.56 लाख परिवार हैं। वहीं, मनपा आयुक्त पवार ने बताया कि अब इनकी संख्या 2 लाख का होने का अनुमान है। इसमें सिर्फ 10 हजार घरों को ही सीवर लाइन से जोड़ा गया है शेष का पानी नालों में जाता है। वहां से पेढी नदी में मिल जाता है। पालकमंत्री को बताया गया कि 74.5 एमएलडी सीवर के पानी को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में ट्रीट किया जाता है। वहीं, 156 एमएलडी पानी लेते हैं। सीवर लाइन बनाने का काम की फाइल अधीक्षक अभियंता के पास लंबित है। पानी की टंकी नहीं भरने से होंगी खराब : विधायक पोटे ने पूछा कि हमनें कुल कितनी पानी की टंकियां बनाईं इस पर जवाब आया कि 23 पानी की टंकी हैं। इस पर उन्होंने पूछा कि 23 को भरा क्यों नहीं जाता है। मामले में मजीप्रा के कार्यकारी अभियंता का ना-नकुर जवाब मिलने पर पालकमंत्री पाटील ने कहा कि सभी पानी को टंकी को पहले पूरा भरो। उसके बाद अभी जितना पानी छोड़ते हो उतना ही छोड़ो। इससे पानी की टंकियां भी खराब नहीं होंगी और पानी का भी वितरण होता रहेगा।
करीब ढाई हजार करोड़ निधि की जरूरत : पालकमंत्री पाटील ने कहा कि मनपा के काम को देखकर करीब ढाई हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता दिखाई पड़ रही है। इसमें 1700 और 900 करोड़ रुपए अनुमानित हैं। यह निधि केंद्र सरकार की मदद से मिल सकती है। इतनी बढ़ी निधि आसानी से मिलना थोड़ा कठिन है।