स्थानीय अधिकारियों के हाथ खड़े करने से परेशान थे अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्त
चार माह से मोर्शी में शुरू था आंदोलन, नहीं ली किसी ने दखल
डिजिटल डेस्क, अमरावती। जिले की मोर्शी तहसील के अपर वर्धा जलाशयग्रस्त किसान करीब 4 माह से अपनी विविध मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं। जिला प्रशासन के समक्ष अपनी यह मांगें रखी तो अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए। स्थानीय अधिकारियों का कहना था कि उनकी मांग बड़ी होने से वह कोई मदद नहीं कर सकते हैं। मामले में मंत्रालयस्तर पर निर्णय लिया जाएगा। इसी बीच मुंबई पहुंचकर विविध कारण बताकर प्रकल्पग्रस्तों ने मंत्रालय में प्रवेश के पास बनवाए और दूसरे माले पर नारेबाजी करते हुए सुरक्षा जाली पर कूद पड़े। कुछ आंदोलनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया। आंदोलन में उमेश शहाणे, अमोल महल्ले, सागर देशमुख, अनिल दहीवडे, प्रवीण डोले, सुधाकर वैराडे, राहुल पंडागले, किशोर भोसले, मनोहर वानखडे, रविंद्र कालमेघ, शब्बीर शाह, मकसूद आदि का समावेश था।
आंदोलनकर्ता किसानों की यह है मांगें
-सरकार की ओर से नियम के अनुसार मुआवजे के फर्क की रकम ब्याज समेत दें।
-हर प्रकल्पग्रस्तों को पुनर्वसन कानून के अनुसार देय जमीन लाभ क्षेत्र में अथवा अन्यत्र जमीन दें।
-प्रकल्पग्रस्त प्रमाणपत्र धारक को शासकीय, अर्ध शासकीय सेवा में समाविष्ट करें, उसके लिए आरक्षण मर्यादा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करें। यह संभव न हुआ तो प्रमाणपत्र धारक को 20 से 25 लाख रुपए सानुग्रह अनुदान दें।
-जलसंपदा विभाग के पास इस्तेमाल में न आनेवाली जमीन जलाशयग्रस्तों को खेती के लिए कायम स्वरूप में दें।
-105 दिनों से शुरू रहनेवाले अनशन के संदर्भ में सरकार हमारे साथ योग्य चर्चा करें।