जलसंकट: चिखलदरा तहसील के सर्वाधिक 100 गांवों को करना पड़ सकता है जलसंकट का सामना

  • 776 गांवों में 1033 उपाय प्रस्तावित किए
  • दर्यापुर में संकट नहीं
  • 466 निजी कुएं किए जाएंगे अधिग्रहित

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-06 10:48 GMT

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में फरवरी की शुरुआत में भले ही स्थिति सामान्य है। किंतु ग्रीष्मकाल में अनेकों गांवों में जलकिल्लत की आशंका व्यक्त करते हुए उसके निवारण के लिए कृति प्रारूप बनाया गया है, जिसे जिलाधिकारी ने मान्यता प्रदान की। 21 करोड़ 18 लाख का यह कृति प्रारूप है। जिसमें 776 गांवों में संभावित जलकिल्लत को देखते हुए 1033 प्रकार के उपाय प्रस्तावित किए गए हैं। ग्रीष्मकाल में सर्वाधिक 100 गांवों में जलकिल्लत चिखलदरा तहसील में निर्माण होने की आशंका जताई जा रही है। जिसके लिए 446 निजी कुएं अधिग्रहित किए जाएंगे।

जिले में जिला परिषद ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की ओर से हर वर्ष ग्रीष्मकाल के 8 माह पहले ही संभावित जलकिल्लत के निवारण हेतु तीन चरणों में कृति प्रारूप तैयार किया जाता है। अक्टूबर से जून के बीच तीन चरणों में जलकिल्लत निवारण हेतु उपाय अमल में लाए जाते हैं। पहला चरण अक्टूबर से शुरू हुआ है व दिसंबर तक चला। ग्रामीण क्षेत्र से कृति प्रारूप अप्राप्त होने से पहले चरण के उपाय को पहले ही मान्यता ली गई थी जिससे तीनों चरण की अंतिम मान्यता जिलाधिकारी ने दी। 21 करोड़ 18 लाख 46 हजार का जलकिल्लत कृति प्रारूप है जिसमें 14 तहसील के 776 गांवों मंे 1033 विविध उपाय योजना की जाएगी। जिसमें हैंडपंप, नल दुरुस्ती, कुएं अधिग्रहण, अस्थायी नल योजना आदि का समावेश है। इसके तहत 446 निजी कुओं का भी अधिग्रहण किया जाएगा। ग्रीष्मकाल के संभावित जलकिल्लत निवारण हेतु प्रशासन पूरी तैयारी में है। 776 गांवों में उपाय शुरू किए गए है। दर्यापुर एक मात्र ऐसी तहसील है जहां जलसंकट न रहने की बात प्रारूप में कही गई है।

तीन तहसीलों में 26 टैंकर का नियोजन : कुछ गांवों में जलकिल्लत की भीष्णता तीव्र रहने से ऐसे गांवों में टैेंकर से जलापूर्ति की जाती है। ऐसे 26 टैंकर का नियोजन प्रारुप में किया गया है। इसमें चिखलदरा तहसील में सर्वाधिक 21 टैंकर का नियोजन किया गया है , तिवसा तहसील में 4 व चांदुर रेलवे तहसील के एक गांव का समावेश किया गया है।

प्रशासन तैयार है : वर्तमान में जिले में कहीं पर भी जलसंकट नहीं है। किंतु ग्रीष्मकाल में अगर कहीं जलसंकट गहराया तो उसे निपटने के लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। जलसंकट के प्रारूप को जिलाधिकारी ने मान्यता प्रदान की है। सुनील जाधव, जिप, ग्रामीण जलापूर्ति अधिकारी


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