अमरावती: अवधि खत्म फिर भी 50 प्रतिशत कचरे पर नहीं हुई बायोमाइनिंग, जुर्माना भर रही मनपा

  • कंपोस्ट डिपो में ये व्यवस्था करना था जरूरी
  • डिपो से होनेवाले प्रदूषण के लिए मनपा को जिम्मेदार
  • हर महीने 5 लाख का जुर्माना भर रही मनपा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-04 12:25 GMT

डिजिटल डेस्क, अमरावती। मनपा के सुकली कंपोस्ट डिपो से होनेवाले प्रदूषण के लिए मनपा को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय हरित लवाद मनपा पर 47 करोड़ का जुर्माना ठोक चुका है। जुर्माने को रद्द करने के लिए मनपा ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। अपील पर चल रही सुनवाई के दौरान मनपा ने पिछली तारीख को न्यायाधीश अभय आेका व न्यायाधीश पंकज मिथाल के समक्ष प्रतिज्ञापत्र दायर कर कंपोस्ट डिपो में सभी जरूरी कमिया तत्काल पूर्ण करने का आश्वासन दिया था। जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने मनपा को तीन माह का समय भी दिया था लेकिन तीन महीने में मनपा ने कुछ भी नहीं किया। वर्तमान में सुकली कंपोस्ट डिपो में 50 प्रतिशत कचरे पर अभी तक बायोमाइनिंग प्रक्रिया नहीं हुई है। दिसंबर 2023 तक मनपा प्रतिमाह 5 लाख का जुर्माना केंद्रीय हरित लवाद के पास जमा कर चुकी है और जनवरी व फरवरी माह के 10 लाख रुपए का जुर्माना भरा गया है। अब 22 फरवरी को मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।


वर्ष 2009 से 2019 के अवधि में पर्यावरण के हुए नुकसान के लिए मनपा को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय हरित लवाद ने मनपा पर 47 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। उस समय मनपा की आर्थिक स्थिति 47 करोड़ रुपए भरने योग्य न रहने का कारण बताते हुए मनपा ने सुप्रीम कोर्ट में जुर्माना रद्द करने की अपील की थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने 47 करोड़ रुपए के जुर्माने पर स्थगनादेश देकर मामले पर सुनवाई आगे शुरू रखी थी। मनपा ने कोरोना काल में बायोमाइनिंग प्रकल्प का काम बंद रहने का कारण सुप्रीम कोर्ट को बताते हुए दिसंबर 2023 तक पुराने सभी कचरे पर बायोमाइनिंग करने का प्रतिज्ञापत्र दाखल किया था। बायोमाइनिंग में लेटलतीफी के चलते मनपा पर केंद्रीय हरित लवाद प्रतिमाह 5 लाख रुपए का जुर्माना लगा चुकी है। मनपा ने दिसंबर 2023 तक का जुर्माना भरा है। जनवरी और फरवरी माह के 10 लाख रुपए मनपा को देना है। इसीबीच सुप्रीम कोर्ट में दाखल किए गए प्रतिज्ञापत्र के अनुसार मनपा ने सुकली कंपोस्ट डिपो में अनेक प्रकार की खामियां रखी है। जो तत्काल व्यवस्था करनी चाहिए व अभी तक नहीं की है। अब 22 फरवरी को मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। अब मनपा न्यायालय में कौनसी भूमिका रखती है इस ओर देखा जा रहा है।

कंपोस्ट डिपो में ये व्यवस्था करना था जरूरी

मनपा को 31 दिसंबर 2023 तक पुराने कचरे पर बायोमाइनिंग करना जरूरी था। मनपा ने बायोमाइनिंग का काम पुणे स्थित सुप्रीम गोल्ड कंपनी को सौंपा है। वर्तमान में 50 प्रतिशत कचरे पर बायोमाइनिंग प्रक्रिया बाकी है। जून माह से मानसून शुरू होगा और बारिश में कचरे पर बायोमायनिंग नहीं हो सकती। इस कारण प्रकल्प बंद रहेगा और मनपा को जब तक पूरी तरह से बायोमाइनिंग नहीं होती तब तक प्रतिमाह 5 लाख का जुर्माना भरना पड़ेगा, इसके अलावा कंपोस्ट डिपो में सेनेटरी लैंडफिलिंग की व्यवस्था नहीं है, जैविक कचरा प्रोसेसिंग की व्यवस्था नहीं की गई है, मनपा ने अभी तक मृत जानवरों के निपटारे के लिए इंसीनरेटर यूनिट नहीं लगवाया, कंपोस्ट डिपो में छोटे और बड़े जानवरों के लिए दो स्वतंत्र यूनिट लगाना जरुरी है। वर्तमान में केवल छोटे मृत जानवरों के लिए इंसीनेरेटर यूनिट लगवाने केवल चबूतरा बनवाया है।

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