चेतावनी: आश्वासन मिलने के बाद अपर वर्धा के प्रकल्पग्रस्तों ने समाप्त किया अपना आंदोलन
- देर रात ही अपर वर्धा के टापू पर पहुंच गए थे आंदोलनकारी
- कल हो सकती है सीएम के साथ चर्चा
- मांग पूरी न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी
डिजिटल डेस्क, वरुड(अमरावती)। न्याय न मिलने पर देर रात से अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्तों ने जलाशय के बीच के टापू पर पहुंच कर आंदोलन शुरू किया। प्रशासन ने आंदोलकों को 28 जनवरी तक आंदोलन स्थगित करने व मुख्यमंत्री तथा उपमुख्यमंत्री के साथ बैठक लगाने का आश्वासन देने से फिलहाल आंदोलकों ने आंदोलन स्थगित किया। इसके लिए उपविभागीय पुलिस अधिकारी नीलेश पांडे समेत मोर्शी, वरुड़ व बेनोडा पुलिस ने सफल मध्यस्थता की।
मोर्शी-वरुड़ तहसील के अपर वर्धा प्रकल्पग्रस्त किसानों को कायम रूप से जमीन देने, प्रमाणपत्र धारकों को 30 लाख रुपए व फर्क की रकम ब्याज समेत देने की मांग के लिए मोर्शी उपविभागीय अधिकारी कार्यालय के सामने पिछले 253 दिनों से श्रृंखला अनशन शुरू किया था। प्रशासन ने जलाशयग्रस्तों को समय-समय पर बैठक का आश्वासन देकर उनकी ओर अनदेखी की।
वरुड़, मोर्शी तहसील के अपर वर्धा प्रकल्प में इन किसानों की जमीनें गई थी। किंतु अपर वर्धा जलाशयग्रस्त कृति समिति ने किसानों को सरकार की ओर से कायम रूप से जमीन देने, प्रमाणपत्र धारकों को 30 लाख रुपए की मदद देने, फर्क की रकम ब्याज समेत देने आदि मांगों को लेकर पिछले 253 दिनों से मोर्शी उप विभागीय कार्यालय के सामने श्रंृखला अनशन के साथ ही आंदोलन शुरू किया है। शासन व प्रशासन स्तर पर आंदोलन की दखल नहीं ली गई। जिससे आंदोलकों ने जनवरी माह में मंत्रालय की दूसरी मंजील से सुरक्षा जाली पर कूदकर आंदोलन किया था। बावजूद इसके मांगे पूर्ण नहीं होने से 26 जनवरी से जल समाधि आंदोलन की चेतावनी दी थी। बावजूद इसके उनके मांगों की ओर अनदेखी होने से आखिर बुधवार देर रात सभी आंदोलनकारी अपर वर्धा प्रकल्प की ओर सिंगुरी मार्ग से बोट की मदद से जलाशय के टापू पर पहुंचे।
वहां रातों-रात उन्होंने पंडाल डाला। इस बात की खबर पुलिस को मिलते ही सुबह मोर्शी के तहसीलदार, उपविभागीय अधिकारी, एसडीपीओ नीलेश पांडे, थानेदार श्रीराम लांबाडे, बेनोडा के थानेदार स्वप्नील ठाकरे वरुड के एपीआई दीपक महाडी, नायब तहसीलदार पंकज चव्हाण आदि ने आंदोलकों से चर्चा की। 28 को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अमरावती दौरे पर आ रहे है। इस दौरान उनकी बैठक करवाने का आश्वासन दिया। आंदोलन का नेतृत्व प्रकल्पग्रस्त उमेश शहाणे, चरण बायस्कर, अनिल दहीवडे, चरणदास बालस्कर, नरेंद्र इंगोले, प्रवीण ढोले, प्रशांत राऊत, अनिल वानखडे, गजानन पुरी, विनायक कुरवाडे, अभिजीत बोकडे, नरेंंद्र मिरासे, शालिग्राम गुल्हाने, दीपक पाटील, मोरेश्वर खानझोडे, दिलीप नवराथे आदि कर रहे है।