Teachers Day: बॉलीवुड की वे फिल्में जिसनें गुरु-शिष्य के रिश्ते को दिया अलग नजरिया
Teachers Day: बॉलीवुड की वे फिल्में जिसनें गुरु-शिष्य के रिश्ते को दिया अलग नजरिया
डिजिटल डेस्क, मुम्बई। कबीरदास ने गुरू पर लिखा, "गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय। अर्थात् भगवान से ऊंचा दर्जा गुरु को दिया गया है। क्योंकि गुरु वह इंसान है, जो हमें भगवान पर पहुंचने का रास्ता बताते हैं। आज का दिन यानी 5 सितम्बर, "शिक्षक दिवस" के रुप में मनाया जाता है। आज के दिन पहले उप राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है। उन्हीं की याद में "शिक्षक दिवस" का यह खास दिन मनाया जाता है। वैसे तो गुरु और शिष्य का कोई दिन नहीं होता। फिर भी यह दिन अपने गुरुओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने का। बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी गुरु और शिष्य की महिमा बताई गई है। आज शिक्षक दिवस के दिन जानते हैं उन फिल्मों के बारे में।
आखिर में बात करेंगे फिल्म 'हिंदी मीडियम' की। फिल्म में पाकिस्तानी एक्ट्रेस सबा कमर और एक्टर इरफान खान मुख्य भूमिका में नजर आए। फिल्म की कहानी में कम पढ़े लिखे इरफान खान अपनी बेटी का एडमिशन करवाने के लिए मेहनत करते नजर आए। फिल्म की कहानी बड़ी ही मजेदार है। फिलहाल इसके दूसरे पार्ट पर काम हो रहा है।
साल 2016 में रिलीज हुई फिल्म 'चॉक एंड डस्टर'। यह फिल्म भारतीय प्राइवेट शिक्षा व्यवस्था के व्यवसायीकरण पर आधारित है। फिल्म में एक्ट्रेस शबाना आजमी और जूही चावला मुख्य रोल में हैं। यह फिल्म अध्यापकों और छात्रों के बीच कम्यूनिकेशन और उन आपसी समस्याओं पर प्रकाश डालती हैं जो दिन प्रति-दिन बदलती और बढ़ती जा रही हैं।
अमोल गुप्ते के डायरेक्शन में बनीं फिल्म 'स्टेनली का डब्बा' ने बहुत ही गहरी बात समझाने की कोशिश की है। अमोल गुप्ते ने पहली बार इस फिल्म से डायरेक्शन में कदम रखा है। साथ ही वह जो मैसेज लोगों को देना चाहते थे। वह लोगों के दिल तक पहुंचता है।
वहीं साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म 'तारे जमीन पर' जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। इस फिल्म ने लोगों को एक नजरिया दिया की सारे बच्चे एक जैसे नहीं होते। सबसे पास अपनी एक प्रतिभा होती है। फिल्म एक मोड़ पर हंसाती है तो वही दूसरे मोड़ पर आंसू लाने पर मजबूर कर देती है। फिल्म में आमिर खान ने एक अध्यापक का रोल प्ले किया है जो ईशान अवस्थी जैसे कमजोर छात्र के साथ-साथ पूरे स्कूल सिस्टम को बदल कर रख देता है। असल मायने में देश के शिक्षा सिस्टम और अध्यापकों की स्थिति सुधारने के लिए ऐसे अध्यापकों की बहुत जरूरत है।
सबसे पहले हम बात करते हैं साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म 'हिचकी' की। इस फिल्म ने भले ही बॉक्स ऑफिस पर कमाल ना किया हो लेकिन एक शैक्षिक नजरिए से यह फिल्म बहुत कुछ सिखा जाती है। फिल्म में रानी मुखर्जी ने एक टीचर का रोल प्ले किया है जो हिचकी की समस्या से जूझ रही है। फिर भी रानी ने अपनी इस समस्या को ताकत बनाकर स्कूल में बच्चों को नये तरीके से पढ़ाकर एक मिसाल कायम की है।