सेल्फी से एक कदम आगे शॉर्ट-फॉर्म वीडियो का क्रेज, पूरे भारत में लाखों में हैं यूजर्स

Short-form video craze one step ahead of selfies, millions of users across India
सेल्फी से एक कदम आगे शॉर्ट-फॉर्म वीडियो का क्रेज, पूरे भारत में लाखों में हैं यूजर्स
सोशल मीडिया क्रेज सेल्फी से एक कदम आगे शॉर्ट-फॉर्म वीडियो का क्रेज, पूरे भारत में लाखों में हैं यूजर्स

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शॉर्ट-फॉर्म वीडियो उपयोग में तेजी के साथ, इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स और कई अन्य घरेलू प्लेटफॉर्मों ने जल्दी पैसा कमाने की महत्वाकांक्षा को जन्म दिया है। अब इसे क्रिएटर इकोनॉमी कहा जाता है, जो सेल्फी के क्रेज से एक पायदान ऊपर है। इसने कभी भारत को जकड़ लिया था और माता-पिता और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को गहरी परेशानी में डाल दिया था।

सेल्फी का क्रेज अब खत्म हो गया है और शॉर्ट वीडियो क्लिप का नया दौर आ गया है, जिसने प्रवर्तन एजेंसियों के लिए कई प्रकार की समस्याएं पैदा कर दी हैं, क्योंकि लोग यूनिक कंटेट बनाने और प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक स्थानों, मॉल, मेट्रो कोच और सड़कों पर उमड़ रहे हैं।

भारतीय अब अपने स्मार्टफोन पर एंटरटेनमेंट कंटेट देखने में हर रोज लगभग 156 मिनट खर्च करते हैं। वास्तव में, औसतन एक भारतीय यूजर्स हर दिन शॉर्ट-फॉर्म कंटेट को कन्ज्यूम करने में लगभग 38 मिनट लगाता है।

बेंगलुरु स्थित रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स के अनुसार, एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि शॉर्ट-फॉर्म ऐप्स के 2025 तक अपने मंथली एक्टिव यूजर्स आधार को 600 मिलियन (सभी स्मार्टफोन यूजर्स का 67 प्रतिशत) तक दोगुना करने और 2030 तक 19 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।

शॉर्ट-फॉर्म ऐप मार्केट में मौज, जोश, रोपोसो, एमएक्स टकाटक और चिंगारी आदि का वर्चस्व है।

रेडसीर के पार्टनर मोहित राणा के अनुसार, भारतीय शॉर्ट-फॉर्म ऐप अन्य स्थापित प्लेटफॉर्म की तुलना में अधिक वृद्धि देख रहे हैं, इसका श्रेय भाषा स्थानीयकरण, शैली की विविधता और स्थानीय निर्माता प्रभाव को दिया जा सकता है।

सभी उम्र के अधिक से अधिक लोग अपने सेल्फी कैमरों के सामने शॉर्ट-फॉर्म वीडियो रिकॉर्ड करने में लगे हुए हैं, इनमें से अधिकांश बेरोजगार हैं।

भारत में अब कम से कम 8 करोड़ निर्माता हैं, लेकिन केवल 1.5 लाख प्रोफेशनल कंटेट क्रेटर ही अपनी सेवाओं का प्रभावी ढंग से मोनोटाइज कर पाए हैं।

भारत में 8 करोड़ क्रिएटर्स में कंटेंट क्रिएटर, वीडियो स्ट्रीमर, इन्फ्लुएंसर्स, ब्लॉगर्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स क्रिएटर्स और फिजिकल प्रोडक्ट क्रिएटर्स शामिल है।

1.5 लाख प्रोफेशनल कंटेट क्रिएटर्स में से, उनमें से अधिकांश 200 डॉलर और 2,500 डॉलर (16,000 रुपये से 200,000 रुपये प्रति माह) के बीच कहीं भी कमा सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे संबंधित प्लेटफॉर्म पर पहुंच और जुड़ाव के आधार पर क्या कर सकते हैं।

कलारी कैपिटल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1 फीसदी से भी कम प्रोफेशनल क्रिएटर्स (जिनके 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं) के पास प्रति माह 2,500 डॉलर- 65,000 डॉलर (53 लाख रुपये से ज्यादा) के बीच कमाई करने की क्षमता है।

भारत में क्षेत्रीय शॉर्ट-फॉर्म वीडियो प्लेटफॉर्म पर 50,000 प्रोफेशनल क्रिएटर्स हैं और उनके 60 प्रतिशत से अधिक दर्शक बाहरी महानगरों से आते हैं।

रिपोर्ट में दिखाया गया है, सोशल प्लेटफॉर्म ने इन व्यक्तियों को एक बड़ा दर्शक वर्ग बनाने और सीधे अपने प्रशंसकों तक पहुंचने में सक्षम बनाया। लेकिन इनमें से बहुत कम क्रिएटर्स प्रभावी ढंग से मुद्रीकरण कर सके।

सोशल प्लेटफॉर्म्स ने क्रिएटर्स के लिए सर्चबिलिटी की समस्या को हल कर दिया, लेकिन उनके द्वारा बनाई गई ज्यादातर वेल्थ खुद प्लेटफॉर्म्स ने हासिल कर ली।

(आईएएनएस)

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Created On :   29 Oct 2022 12:30 PM IST

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