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महाशिवरात्रि पर सीसीटीवी कैमरे समेत पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त
डिजिटल डेस्क, बीड। महाराष्ट्र में बारह ज्योतिर्लिंग में पांचवे स्थान पर वैद्यनाथ परली का अलग ही महत्व है ।किवंदती है कि देवगिरी के यादव राजे रामचंद्र के प्रधान हेमाद्रिपंत ने बारहवें शतक में इस मंदिर का निर्माण किया ।सोनपेट तहसील से डिघोल गांव में त्रिशुला देवी के परिसर की पहाड़ी खोदकर काला पाषाण निकालकर मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया । होलकर परिवार व बीड जिले की पुत्री पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर ने सन 1699 में मंदिर के जिर्णोध्दार का निर्माण किया ।सन 1706 में मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ ।मंदिर परिसर में पूर्वघाट , उत्तर घाट का निर्माण किया । पश्चात शिल्पकार एस बी परदेशी ने अपनी मेहनत से मंदिर परिसर के दीपमाला के सामने ब्रान्ज की प्रतिमा 7 मार्च 1986 को स्थापित की ।
मंदिर के पूर्व महाद्वार का निर्माण सन 1938 को रामराव देशपांडे ने किया ।लकड़ी का संभामंडप परली के रामराव शिवाजी उर्फ नानासाहब देशपांडे के मार्गदर्शन में चंदा जमा कर किया ।प्रभु वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग समिति की स्थापना 1820 में हुई ।इस समिति के पहले सेक्रेटरी इटालियन व्यापारी गुस्टाओ ऊल्सी थे ।गुस्टाओ ऊल्सी ओर कजिओ इनोने परली शहर में इनोने कपास की 52 जिनिंग मिल की स्थापना की। परली व्यापार पेठ से वैद्यनाथ फंड जमा करने की समिति गठित की । छत्रपति शिवाजी महाराज का सैन्य टुकड़ी परली मार्ग कर्नाटक की ओर जाता था। दूसरे और महाराष्ट्र में ज्योतिर्लिंग तीर्थक्षेत्र में सिर्फ़ भगवान भोलेशंकर की एक नंदी दिखाई देगी किंतु वैद्यनाथ परली मंदिर में तीन नंदी दिखाई देते हैं। सुबह वृषभ , दोपहर चंड ,रात के समय चैव ऐसे तीनों नंदियों के नाम हैं । परली वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग तीर्थक्षेत्र में अनेक मंदिर है।संत गुरुलिंग स्वामी ,संत वक्रेश्वर बुवा ,संत तुलसीराम महाराज ,साध्वी बकुला बाई ,संत सोपान काका आदि संतों की भूमि के रूप में भी इसकी ख्याति है।
शिवरात्री पर्व पर लाखों भक्त लेंगे दर्शन
पिछले दो सालों से कोरोना के चलते शिवरात्रि पर्व पर भक्तों को प्रभु वैद्यनाथ भगवान के दर्शन मिले नही । इस बार कोरोना से राहत के चलते लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई गई है । इसके चलते वैद्यनाथ परली मंदिर समिति के सचिव राजेसाहब देशमुख ने बताया कि भक्तों की सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में 84 कैमरे लगाए गए है कोरोना के नियमों का पालन करते हुए मंदिर के अंदर प्रवेश कर दर्शन का लाभ भक्त ले सकेंगे।
Created On :   28 Feb 2022 4:16 PM IST