भगवान महादेव संग होली खेलते हैं शिवभक्त, मां पार्वती को बहन और भगवान शंकर को मानते हैं बहनोई
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। महादेव पहाडियों को भगवान शंकर का कैलाश पर्वत के बाद दूसरा घर माना जाता है। इन्हीं महादेव पहाडिय़ों में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पचमढ़ी की वादियों में स्थित है महादेव मंदिर चौरागढ़। महाराष्ट्र के कुछ ग्रामीण अंचलों में मां पार्वती को बहन एवं भगवान शंकर को बहनोई माना जाता है। इसी के चलते होली पर महाराष्ट्र व मप्र के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महादेव को गुलाल लगाने पहुंचते हैं।
पौराणिक कथाओं में महादेव मंदिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भस्मासुर को भगवान महादेव ने यह वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। भस्मासुर ने यह वरदान खुद शिवजी पर ही आजमाना चाहा। उससे बचने के लिए शिवजी ने चौरागढ़ पर्वत पर शरण ली थी। यहीं पर भगवान विष्णु ने मोहिनी रुप धारण कर भस्मासुर को अपने ही सिर पर हाथ रखने के लिए मजबूर कर दिया था। भक्तों का मानना है कि भस्मासुर से अपनी रक्षा करते हुए भगवान शंकर पहली पायरी होते हुए चौरागढ़ पर्वत पहुंंचे थे। इसलिए पहली पायरी को महादेव यात्रा की पहली सीढ़ी कहा जाता है। पहली पायरी जुन्नारदेव मुख्यालय से करीब तीन किमी दूर स्थित है।
इनका कहना है
राकेश सूर्यवंशी ने कहा कि अपने इष्ट देव भगवान शंकर एवं गुरुदेव महंत गरीब दास जी महाराज को पहला टीका लगाकर हम होली उत्सव की शुरुआत करते हैं। यह परंपरा हमारे परिवार में बरसों से चली आ रही है।
इकलेहरा के सुनील यादव ने कहा कि होली हो, दीपावली हो या फिर रक्षाबंधन हो, प्रत्येक उत्सव की शुरुआत हम भोलेनाथ के दर्शन कर ही करते हैं। होली में हम चौरागढ़ पहुंचकर भगवान महादेव को तिलक लगाकर इस त्यौहार की शुरुआत करते हैं।
सदस्य हर हर महादेव सेवा समिति चौरागढ़ के राघवेंद्र वसूले ने कहा कि चौरागढ़ में भगवान भोलेनाथ के मंदिर में शिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन गुलाल खेलकर होली उत्सव की शुरुआत होती है। इसके बाद धुरेंडी पर महाराष्ट्र सहित विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु चौरागढ़ पहुंचकर होली का पर्व मनाते हैं, जिसमें हम भी शामिल होते हैं।
Created On :   7 March 2023 9:21 PM IST