सोयाबीन की पूर्व तैयारियां और सोयाबीन के अलावा अन्य फसलो को अपनाने की कृषको को दी सलाह!
डिजिटल डेस्क | आगर-मालवा आत्मा योजना अंतर्गत आज सोमवार को विकास खंड नलखेड़ा मे गुगल मीट के माध्यम से कृषकों का प्रशिक्षण आयोजित किया। जिसमे उपसंचालक कृषि आगर श्री ए.के. तिवारी, कृषि विज्ञान केन्द्र आगर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ आर पी एस शक्तावत, सहायक तकनीकी प्रबंधक आत्मा नलखेड़ा और कृषक गण उपस्थित रहे।
डॉ. शक्तावत ने कृषक को सोयाबीन फसल मे बीज उपचार हेतू कार्बेन्डाझिम मॅन्कोझेब तीन ग्राम प्रति किलो के साथ क्लोरोपायरीफॉस इमिडाक्लोप्रिड थायमेथॉक्झाम से बीज उपचार करने की सलाह दी इसके आलावा सोयाबीन की उन्नत प्रजाति जे एस 95-60 जे एस 20-34 जे एस 20-29 जे एस 97-52 आर व्ही एस 2001-04 एन आर सी 86 आदि उन्नत किस्म के बारे मे चर्चा की सोयाबीन फसल में खरपतवार नियंत्रण हेतू पेंडीमेथिलिन एक लीटर प्रति हेक्टर बुवाई के तुरंत बाद या अंकुरण से पूर्व प्रयोग करे। इसके अलावा इमाजेथापायर का प्रयोग बुवाई के 20 से 25 दिन बाद करे।
उन्होंने किसानों से कीटव्याधि के प्रबंधन पर चर्चा की। उपसंचालक कृषि श्री तिवारी ने कृषको को सलाह दी कि इस वर्ष बीज की कमी के कारण साथ ही विगत दो वर्ष से सोयाबीन फसल किटव्याधि से खराब होने के कारण सोयाबीन के बजाय मक्का, मूंग, ज्वार, उड़द आदि की फसलो को अपनाये। खरीफ फसलो की बुवाई पूर्व बीजो का अंकुरण प्रतिशत ज्ञात कर लेवे। जिस से अनावश्यक बीज न डालना पडे। खाद, बीज, कीटनाशक आदि को खरीदते समय दुकानदार से पक्का बिल अवश्य लेवे। 100 किसानों ने ऑनलाईन प्रशिक्षण में लाभ लिया। अंत में विकासखण्ड तकनीकि प्रबंधक वेद प्रकाश सेन ने सभी किसानों का आभार प्रकट किया।
Created On :   8 Jun 2021 2:05 PM IST