हाथियों का आयुर्वेदिक उपचार, 10 दिन तक नहीं होंगे दीदार

डिजिटल डेस्क, अहेरी (गड़चिरोली)। राज्य के एकमात्र सिरोंचा वनविभाग के कमलापुर हाथी कैम्प के हाथियों के स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाए रखने की प्रक्रिया वनविभाग ने शुरू कर दी है। आगामी 10 दिन तक कैम्प में मौजूद सभी 8 हाथियों पर आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार शुरू किया गया है। अब यहां पहुंच रहे पर्यटकों को हाथियों का दीदार नहीं होगा। आगामी 14 फरवरी तक कमलापुर का यह हाथी कैम्प बंद रहेगा।
बता दें कि, लगातार बढ़ रही ठंड के कारण हाथियों के पैरों में जख्म होने की आशंका बनी रहती है। हाथियों को इस तरह के नुकसान से बचाने के लिए वनविभाग ने उनपर आयुर्वेदिक उपचार शुरू करने का फैसला लिया है। विभिन्न प्रकार की तकरीबन 44 आयुर्वेदिक वनौषधियों का मिश्रण तैयार कर हाथियों के पैरों में चोपिंग की जा रही है। चोपिंग की इस प्रक्रिया से हाथियों के पैर सुरक्षित बने रहते हैं। साथ ही हाथियों का स्वास्थ्य भी सुदृढ़ बना रहता है।
गत 30 जनवरी से इस प्रकार का इलाज हाथियों पर शुरू किया गया है। कैम्प से करीब 1 किमी दूर जंगल में यह इलाज शुरू किया गया है। उपचार की कालावधि में यह हाथी इसी 1 किमी के दायरे में विचरण करेंगे। इस कारण यहां पहुंच रहें पर्यटकों को अब दस दिनों तक हाथियों का दीदार नहीं होगा। जानकारी के अनुसार प्रात:काल में ही हाथियों के पैर पर आयुर्वेदिक जड़ीबुटियों का लेप लगाया जाता है। इस लेप में हिरड़ा, बीबा, बेहड़ा, सुंठ, त्रिफला, फल्ली तेल, डिकामाली, ओवाफूल, अस्मानतारा, मोम, साबून, इलायची, गेरू, कत्था, हिंग, जायफल, सागरगोटा, मांजूफल समेत अन्य प्रकार की वनौषधियां मिश्रित की जाती हैं। इस कार्य के लिए पशवैद्यकीय अधिकारियों की टीम के साथ वनविभाग के कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। आगामी दस दिन तक सभी 8 हाथियों पर इसी तरह का उपचार जारी रहेगा।
Created On :   4 Feb 2023 3:31 PM IST