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विदर्भ के जंगलों में194 बाघों की घुसपैठ
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। दूसरे के एरिया में इंसान ही नहीं बाघ भी घुसपैठ करते हैं। वन विभाग के अनुसार पिछले चार साल में विदर्भ के जंगलों में बाहर के 194 बाघों ने क्षेत्र की तलाश में घुसपैठ की है। हालांकि यहां पहले से मौजूद 148 बाघों ने उन्हें यहां टिकने नहीं दिया और अपना वर्चस्व बनाए रखा। सबसे ज्यादा ताड़ोबा में 106 बाघ व पेंच में 82 बाघों की घुसपैठ दर्ज हुई है। इसके अलावा नवेगांव-नागझिरा में भी 6 बाघों की गणना हुई है, जो यहां क्षेत्र की तलाश में आए थे। ये बाघ मध्य प्रदेश व ओडिशा की ओर से मीलों का सफर तय कर विदर्भ में पहुंचे।
लंबी दूरी तय करते हैं बाघ
देश में प्रति चार साल बाद एनटीसीए बाघों की गणना कर उनकी संख्या सामने रखता है। इस बार पूरे देश में 2 हजार 967 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है। इसमें महाराष्ट्र के 312 बाघ शामिल हैं। विदर्भ के बोर, नवेगांव, पेंच और ताड़ोबा में 148 बाघों का बसेरा है। हाल ही में जारी आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है कि गत चार साल में विदर्भ के इन जंगलों में बाहरी राज्यों से 194 बाघों ने घुसपैठ की है, लेकिन वह सफल नहीं हो पाए हैं। जानकारों की माने तो मध्य प्रदेश के कान्हा, पन्ना, पेंच आदि जगहों से बड़े हो रहे शावक क्षेत्र की तलाश में मीलों का सफर कर अपने लिये क्षेत्र खोजते रहते हैं। जहां पहले से बाघ मौजूद है, वहां से वह आगे निकल जाते हैं।
यह भी जानें
बोर में कुल 6 बाघ स्थायी रूप से निवासरत हैं। नवेगांव में 6 बाघ स्थानीय और 6 बाघ बाहर से आनेवाले दर्ज हुए हैं। पेंच में 53 बाघों का बसेरा है, लेकिन 82 बाघ बाहर से आकर लौट चुके हैं। ताड़ोबा में 83 बाघों का बसेरा है। यहां 106 बाघ क्षेत्र की तलाश करते हुए पहुंचे थे।
Created On :   30 July 2020 1:49 PM IST