एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड फर्जीवाड़ा (Part 1): काली कमाई की खुली पोल, फर्जीवाड़ा कर एलएन मालवीय ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना, EOW में मामला दर्ज

काली कमाई की खुली पोल, फर्जीवाड़ा कर एलएन मालवीय ने सरकार को लगाया करोड़ों का चूना, EOW में मामला दर्ज
  • एलएन मालवीय के खिलाफ EOW ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया
  • कंपनी की नींव फर्जी दस्तावेजों पर टिकी
  • सरकार को कंपनी ने लगाया करोड़ों का चूना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नामी कंसल्टेंट टीवी 27 के डायरेक्टर एलएन मालवीय के खिलाफ EOW ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। जिसे लेकर अब नए नए खुलासे हो रहे हैं। एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड पर आरोप है कि उसने धोखाधड़ी से सड़क, फ्लाई ओवर, रेलवे ओवर ब्रिज, मेडिकल कॉलेज का ठेका लिया है। टीवी 27 के डायरेक्टर एलएन मालवीय पर आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए जबलपुर क्षेत्र में फर्जीवाड़े से सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया है। इस कंपनी की नींव फर्जी दस्तावेजों पर टिकी हुई है।

एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी पर आरोप है कि उसने अधिकारियों से गठजोड़ कर जिला जबलपुर के साथ पूरे प्रदेश भर में कंस्ट्रक्शन और कंसल्टेंसी सेवा के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है। जिसके पत्ते अब खुलते जा रहे हैं। प्रशासन एक्शन मोड में दिख रही है। बता दें कि, एलएन मालवीय व्यापम घोटाले का भी आरोपी है।

कंसल्टेंट कंपनी में कर्मचारी था एलएन मालवीय

एलएन मालवीय सरकारी ठेकों का मास्टरमाइंड माना जाता है। वह फर्जी दस्तावेजों के साथ सरकारी अफसरों को अपने जाल में फंसा कर सरकार को चुना लगाया है। पड़ताल में पता चला है कि कुछ साल पहले तक कोलार रोड पर एक कंसल्टेंट कंपनी में कर्मचारी के रूप में काम करने वाले एलएन मालवीय ने साल 2005 में अपनी फर्म का पंजीयन कराया था। छह साल बाद यानी साल 2011 में उसने एलएन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्रा.लि. नाम से कंपनी रजिस्टर्ड कराई। इसके बाद वह अपनी कंपनी के लिए सरकारी प्रोजेक्ट हथियाने की तिकड़मों में जुट गया। कुछ साल बाद उसने अधिकारियों से संपर्क बढ़ाए और फिर इन्हीं संबंधों के सहारे काम लेना शुरू किया।

चार मेडिकल कॉलेज बनाने का भी लिया ठेका

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आरोप है कि एलएन मालवीय की कंपनी ने बड़े प्रोजेक्ट सरकार से हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। इसमें 4 मेडिकल कॉजेल शामिल है। जिनमें कंपनी ने विदिशा मेडिकल कॉलेज का ठेका लेने के लिए राजधानी के बैरागढ़ में स्थित नामी मेडिकल कॉलेज और उसके अस्पताल के निर्माण के भी फर्जी दस्तावेज और बैलेंस शीट तैयार कराई। मेडिकल कॉलेज का निर्माण करने और उसमें तकनीकी दक्षता का सर्टिफिकेट भी उसने तैयार कराया था। इसी बैलेंस शीट और सर्टिफिकेट के सहारे उसने विदिशा मेडिकल कॉलेज बनाने का ठेका हासिल किया। कंपनी ने सिवनी, शहडोल और श्योपुर मेडिकल कॉलेज निर्माण की कंसल्टेंसी का काम भी हथिया लिया। इन कामों के बदले में मालवीय को सरकार से करोड़ों रुपया भी मिला।

EOW का बड़ा आरोप

एलएन मालवीय के खिलाफ EOW ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। मालवीय और चार पीडब्ल्यूडी अधिकारी सहित कुल 5 पर FIR दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश के राज्य एवं मुख्य जिला मार्गों पर पुल के निर्माण के लिए सुपरविजन कंसलटेंसी जबलपुर का ठेका स्वीकृत हुआ था इस निर्माण एजेंसी के लिए कंसल्टेंट एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड भोपाल को अधिकृत किया गया था। कुल 106 पुलों के निर्माण की निविदाओं की लागत 12.25 करोड़ रुपए थी, लेकिन पीडब्ल्यूडी के NDB डिपार्टमेंट के डायरेक्टर और फाइनेंशियल एडवाइजर सहित अन्य तीन अधिकारियों ने मिलीभगत करते हुए एलएन मालवीय को 26 करोड़ 11 लाख रुपए का भुगतान कर दिया और शासन को 13 करोड़ 86 लाख रुपए का चूना लगाया। EOW की जांच के दौरान यह सामने आया कि अब तक इस प्रोजेक्ट में केवल 47% ही काम हुआ है पर भुगतान 213 प्रतिशत कर दिया गया।

एमपी के बाहर भी कंपनी का फैला है जाल

काम बढ़ाने और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए एलएन मालवीय ने सरकारी विभागों में अपनी पकड़ मजबूत की। उसने अफसरों को भी फर्जी दस्तावेजों के सहारे अपने जाल में फांसा। मालवीय ने कुछ ही समय में अपनी कंपनी को एनएचएआई, सड़क परिवहन विभाग, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, रेलवे और एचएससीएल जैसी कंपनियों के अलावा प्रदेश में एमपीआरडीसी, एमपीआरआरडीए, पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन विभाग, पीएचई और एमपीयूएडीडी में इंपेनलमेंट करा लिया। उसकी कंपनी अब बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गोवा जैसे राज्यों में भी विभागों में इंपेनल्ड हो चुकी है। फर्जीवाड़े की नींव पर खड़ी कंपनी को मालवीय ने अपने प्रभाव के सहारे छत्तीसगढ़ में भी काम दिलाना शुरू कर दिया है।

बॉयोडेटा प्रिंटकर बनाया एक्सपर्ट पैनल

एलएन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट्स ने बड़े कामों के लिए किस स्तर पर फर्जीवाड़ा किया यह भी बताते हैं। जबलपुर ईओडब्ल्यूडी को जो शिकायत की गई है। उसमें वे दस्तावेज भी हैं जो कार्रवाई का आधार बने हैं। कंपनी ने प्रदेश में पुल और सड़क निर्माण में कंसल्टेंसी सर्विसेज का ठेका लेने जो एक्सपर्ट पैनल दर्शाया था वह असल में उसके कर्मचारी नहीं थे। एक्सपर्ट के लिए तय दक्षता वाले कर्मचारियों का पैनल बनाने मालवीय ने जॉब साइट से बॉयोडेटा प्रिंट किए और कंपनी को बिड में शामिल कराया। बिड में अव्वल रहने के लिए कंपनी कर्मचारियों के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और नेशनल रोड सेफ्टी कांग्रेस की फर्जी रसीदें छापीं और उन्हें सदस्य बताकर भ्रमित किया गया।

फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट से एक्सपर्ट को दी छुट्टी

एलएन मालवीय किसी भी लेवल के फर्जीवाड़े से करोड़ों के काम हासिल करना चाहता है। इसका एक और उदाहरण सामने है। दरअसल कंसल्टेंट टेंडर हासिल करने मालवीय की कंपनी ने टेंडर के दस्तावेजों के साथ एक्सपर्ट पैनल की एक सूची दी थी। जब कंपनी को काम मिल गया तो कुछ समय बाद ही इन एक्सपर्ट को जेपी अस्पताल के डॉक्टरों से सर्टिफिकेट लेकर अनफिट बता दिया। टेंडर की शर्तों में यह भी था कि एक्सपर्ट के नौकरी छोड़ने या हटाए जाने पर उसी दक्षता वाले को काम पर रखना होगा। लेकिन एलएन से साठगांठ के चलते अधिकारियों ने शर्त के उल्लंघन को अनदेखा कर कंपनी को भुगतान भी कर दिया।

क्वालिफाइड कर्मचारी बाद में बदली जानकारी

यह मामला केवल रुपयों के गड़बड़ झाले का ही नहीं है बल्कि, कंपनी ने दस्तावेजों में हेरफेर करते हुए ऐसे इंजीनियर और कर्मचारी से निर्माण कार्य करवा रही थी जो इस काम के लायक ही नहीं है। निर्माण कार्य की निविदा लेते समय एलएन मालवीय इंफ्राप्रोजेक्ट्स कंपनी ने key experts के बायोडाटा भी लगाए थे जिसमें उन्होंने दिखाया था कि उनके इस निविदा में काम करने वाले टीम लीडर, सीनियर ब्रिज इंजीनियर, ब्रिज डिजाइन इंजीनियर, सीनियर मटेरियल इंजीनियर, सीनियर क्वालिटी इंजीनियर और आरई सभी विशेषज्ञ हैं और उनके बायोडाटा की मार्किंग के आधार पर ही इस कंपनी को यह प्रोजेक्ट मिला था पर प्रोजेक्ट मिलते ही कंपनी ने कम दक्षता के कर्मचारियों को यह काम दे दिया। जबकि निविदा में यह साफ उल्लेख था कि यदि key एक्सपर्ट को बदल जाएगा तो उससे उच्चतर या समकक्ष अहर्ता वाले एक्सपर्ट ही काम करने योग्य होंगे।

धार भोजशाला पर जैन समाज के दावे की याचिका खारिज

मरे हुए नोटरी के सील साइन और फर्जी कर्मचारी यह निविदा लेने के लिए कंपनी ने जो एफिडेविट जमा किए थे। वह भी फर्जी निकले, क्योंकि इन एफिडेविट में नोटरी खलीउल्लाह खान की सील और दस्तखत थे। पर 15 मई 2019 के इस एफिडेविट की सील में दिख रहे खलीउल्लाह खान का 22 जनवरी 2018 को ही निधन हो चुका है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया कि निविदा पाने के लिए कंपनी ने कुल 9 एक्सपर्ट के नाम दिए थे। जिसमें सुभाष कुमार चौधरी, उदय शंकर मालिक, मनीष कुल्हारे चंद्रकांतबी, हरिचरण, महेश पुलोरिया और अरविंद गुप्ता का नाम था। लेकिन इनमें से किसी भी कर्मचारी ने कभी भी एल एन मालवीय की कंपनी के साथ काम ही नहीं किया था। निविदा मिलने के बाद मालवीय की कंपनी ने मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर इन सभी को बीमार बता दिया और नए निम्न क्षमता के कर्मचारियों को काम पर रख लिया। पीडब्लूडी अधिकारियों की थी पूरी मिलीभगत इस निविदा को लेने के लिए मेसर्स एलएन मालवीय इंफ्रा इन्फ्रा ने IRC (इंडियन रोड कांग्रेस) की जो रसीदें लगाई थी वह भी फर्जी थी।

भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) देश में राजमार्ग इंजीनियरों का सर्वोच्च निकाय है। आईआरसी की रसीद बुक में केवल 100 पेज होते हैं और रसीद नंबर भी 100 से अधिक नहीं होता पर कंपनी ने 186 से लेकर 644 नंबर तक की कुल 21 फर्जी रसीदें लगाई थी। जिसे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने आंख बंद कर सत्यापित कर दिया था। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने जानबूझकर एलएन मालवीय की कंपनी को फायदा पहुंचाने अधिक अंक देते हुए उसका टेंडर स्वीकृत किया था। इसलिए इस मामले में एलएन मालवीय सहित (एनबीडी) एमपी पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन डायरेक्टर नरेंद्र कुमार, तत्कालीन फाइनेंशियल एडवाइजर एलएन मिश्रा, तत्कालीन एई सजल उपाध्याय और एमपी सिंह के खिलाफ धारा 420,467, 468, 471, 472,120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज कर ईओडब्ल्यू ने विवेचना में लिया है।

Created On :   10 July 2024 11:36 AM GMT

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