जय बापू जय भीम जय संविधान रैली: शाह के बयान का विरोध या राहुल गांधी की रणनीति, जानिए अंबेडकर की जन्मस्थली महू में आयोजित कांग्रेस की महारैली के पीछे की वजह

- संविधान की रक्षा अभियान में शामिल होंगे लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे रहेंगे मौजूद
- शाह के बयान का विरोधी पार्टियों का विरोध
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज 26 जनवरी को भारत में 76 वां गणतंत्र मनाया जा रहा है। आज ही के दिन भारतीय संविधान को लागू किया था। इसलिए रिपब्लिक डे मनाया जाता है। कल 27 जनवरी को ही जिस पार्टी की अगुवाई में भारतीय संविधान बनाया गया, कल वहीं पार्टी यानि कांग्रेस संविधान बचाने के लिए महारैली करने जा रही है। संविधान ही भारत की सबसे बड़ी ताकत है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान के चलते ही भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।
कांग्रेस की जय बापू जय भीम जय संविधान महासभा
भारतीय संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ अंबेडकर की जन्मस्थली महू में कांग्रेस की 27 जनवरी को राष्ट्रव्यापी जय बापू जय भीम जय संविधान बड़ी रैली है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने संविधान की रक्षा और सम्मान के लिए जो संकल्प लिया है। महू के वेटरनरी कॉलेज के मैदान में आयोजित रैली में देशभर से कांग्रेस कार्यकर्ता जुटने कई उम्मीद है। कांग्रेस की इस रैली में राहुल गांधी,प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व सीएम कमलनाथ व दिग्विजय सिंह समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। अभी तक कांग्रेस पर गांधी नेहरू विचारधारा से चलने का आरोप लगता आया है। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या अब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस अंबेडकर विचारधारा पर चलेगी। जय बापू जय अंबेडकर को साथ लेकर चलने वाली कांग्रेस अब गांधी-अंबेडकर वाली कांग्रेस होगी।
आज भी भारत में छुआछूत, जाति प्रथा और गरीबी
आपको बता दें आजादी से पहले भारत में जाति प्रथा, छुआछूत और अमीरी -गरीबी व्याप्त थी। ब्रिटिश हुकूमत से जैसे ही देश स्वतंत्र हुआ वैसे ही भारतीय संविधान में बाबा साहब अंबेडकर ने सभी नागरिकों को आजादी के साथ समानता के साथ जीने के अधिकार दिए। देश की आजादी के सात दशक बाद भी आज भारत में छुआछूत, जाति प्रथा और गरीबी पैर पसार रही है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के दंश से गरीब और गरीब होता जा रहा है। महात्मा गांधी, ज्योतिराव फुले, डॉ भीमराव अंबेडकर से लेकर कांशीराम ने पीड़ित और गरीबी के खिलाफ जंग लड़ी। कई महापुरुषों ने इसके लिए पीड़ा भी झेली।
राहुल गांधी संविधान बचाने की रणनीति
आज के दौर में भले ही सत्तारूढ़ सरकार कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर इन समाजों को नजरअंदाज करने का आरोप समय समय पर लगाती रही है। भले ही कांग्रेस कार्यकाल में पीड़ित समाजों को उस तरह का मौका नहीं मिला जैसा मिलना चाहिए था। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान के जरिए पीड़ित वर्ग और गरीबों की जैसे आवाज उठाई है। उससे ऐसा लगता है कि धनवान और बुद्धजीवी वर्ग उनसे नाराज हो सकता है। गरीब और पिछड़ों वर्ग के मतदाताओं को रिझाने के लिए हर राजनैतिक अपनी अपनी रणनीतियां बना रही है। बीजेपी की बंपर जीत के पीछे की भी मुख्य वजह इन वर्ग के वोटरों का भाजपा की तरफ मुड़ना है।
कांग्रेस से नाराज हो सकता है धनाढ्य संपन्न वर्ग
एक दशक से अधिक समय से सत्ता से दूर कांग्रेस नेता भी ये जानते है कि उनकी सत्ता में वापसी भी इन्हीं गरीब और पीड़ित वर्गों के वोटों से होकर ही निकलेगा। यहीं वजह है कि राहुल गांधी पूरा फोकस इन्हीं वर्गों पर लगा है। राहुल और कांग्रेस के सामने इससे बड़ा संकट ये पैदा हो सकता है कि पार्टी के भीतर संपन्न वर्ग के धनाढ्य नेता नाराज हो सकते है, क्योंकि अभी तक दिल्ली से चलने वाली कांग्रेस की राजनीति और रणनीति में ऐसे नेता पीड़ित और गरीब वर्ग के नेताओं को मौका ही नहीं देते। मौका भी मिला तो उस तरह नहीं मिला जिस तरह मिलना चाहिए। बीजेपी ने दो बार दलित राष्ट्रपति बनाकर दलित हितैषी बनने की राह पकड़ी, भाजपा ने ऐसा करके उस मिथ्य को तोड़ा जिसमें उस पर सामान्य वर्ग की पार्टी होने का टैग लगा हुआ था।
कांग्रेस का असली मकसद, शाह का विरोध या बहुजन वोट
भले ही कांग्रेस पार्टी संसद में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के विवादित बयान को लेकर बीजेपी और शाह पर निशाना साध रही है लेकिन संविधान और अंबेडकर के जरिए कांग्रेस का असली मकसद गरीब और पीड़ित वोटर्स को अपनी ओर करना है। कांग्रेस के कई नेता अनेक मौकों पर बीजेपी पर धनवान लोगों की पार्टी होने का आरोप लगा चुके है। आपको बता दें जिस बहुजन रणनीति पर चलकर कांशीराम और बसपा ने कांग्रेस को जो नुकसान पहुंचाया। राहुल गांधी संविधान और अंबेडकर के जरिए बहुजनों के खोए हुए वोट बैंक को हासिल करना चाहती है। राहुल गांधी कई मौकों पर ब्लू (नीली) टी शर्ट पर पहने भी नजर आए।
मोदी का नारा, राहुल की रणनीति
राहुल गांधी की बहुजन रणनीति बीजेपी की मोदी सरकार के नारे सबका साथ सबका विकास पर प्रहार करती है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई बार मंचों से ये कह चुके है बीजेपी की मोदी सरकार अमीरों और धन्ना सेठों को सपोर्ट करती है। वह गरीब और पीड़ित वर्ग के बारे में नहीं सोचते है। इसके लिए गांधी बड़े बड़े शासकीय पदों पर बीजेपी शासन में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की नियुक्तियां आबादी के हिसाब से न होने का उदाहरण देते है। आज भी केंद्रीय सचिव स्तर से लेकर कुलपति और निदेशक पदों पर शोषित गरीब वर्गों की पहुंच लगभग नगण्य है। यहीं जातिगत जनगणना की मांग कर रही कांग्रेस बीजेपी पर जातिगत जनगणना न कराने का आरोप लगाती है। कांग्रेस बीजेपी सरकार और आरएसएस पर संविधान को बदलने का आरोप लगाती रही है।
अंबेडकर पर शाह के बयान का विरोध जारी
सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अंबेडकर पर दिए बयान को लेकर विरोधी पार्टियों के नेताओं का कहना है कि उन्होंने देश की 90 फीसदी जनता का अपमान किया है। शाह ने दलितों, शोषितों आदिवासियों,ओबीसी और गरीब वर्ग का अपमान किया है। न केवल कांग्रेस तमाम विरोधी पार्टियां शाह पर जनता से माफी मांगने को कह रहे है।
राहुल का साथ देना देशहित- बरैया
कांग्रेस की जय बापू, जय अंबेडकर, जय संविधान आयोजित महासभा को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ दलित नेता व विधायक फूल सिंह बरैया का कहना है कि हम अंबेडकर, पेरियार, फुले , कांशीराम विचारधारा वाले लोग है। इन सभी महापुरुषों ने जब गरीबों दलितों पीड़ितों की आवाज उठाई तो उन्हें परेशान किया गया। सभी जानते है कि बाबा साहेब ने देश को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का संविधान दिया। मौजूदा वक्त में राहुल गांधी इन्हीं महापुरूषों की विचारधारा पर चल रहे है। ऐसे में उन्हें भी परेशान किया जाएगा। मौजूदा दौर में राहुल गांधी संविधान बचाने की बात कर रहे है,यानि गरीब, दलित आदिवासी और ओबीसी को बचाने की बात कर रहे है। उनके अधिकारों की बात कर रहे है। ऐसे समय में राहुल गांधी का साथ देना देशहित में होगा और उनका विरोध करना देशविरोधी होगा।
Created On :   26 Jan 2025 12:48 PM IST