पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए चुनौतियों से भरा रहा साल 2021
डिजिटल डेस्क, जयपुर। वर्ष 2021 राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए चुनौतियों से भरा रहा है। इस दौरान राजे ने अवसरों में बदलने के लिए समय बर्बाद नहीं किया और राज्य के विभिन्न मंदिरों में अपनी धार्मिक यात्राएं जारी रखीं। राज्य की राजधानी में भाजपा कार्यालय से पूर्व मुख्यमंत्री के पोस्टर हटाए दिए गए हैं। वे वल्लभ नगर, धरियावाड़ और राजसमंद नाम के तीन स्थानों पर हुए उपचुनावों के दौरान भी चुनाव प्रचार में शामिल नहीं थीं। चुनाव प्रचार में शामिल नहीं होना और पार्टी की रैलियों से भी उनका दूर रहना राज्य की राजनीति में विषय बन गया है।
राजे न तो चुनाव प्रचार के दौरान दिखाई दीं और न ही उन्होंने पार्टी की महत्वपूर्ण बैठकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। दरअसल, टीम वसुंधरा राजे 2023 के तहत एक टीम चलाई जा रही थी। जिसने राज्य में अपने स्वयं के जिलाध्यक्षों की एक सूची जारी की है। इसके अलावा, कोविड की दूसरी लहर के दौरान राजे की टीम ने वसुंधरा जन रसोई अभियान चलाया जहां जरूरतमंदों को भोजन परोसा गया। वहीं, भाजपा ने सेवा ही संगठन अभियान चलाया।
स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण जब उनके बेटे की पत्नी को गुरुग्राम के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया तो राजे और उनके कार्यकर्ताओं को उनके लिए विशेष पूजा-अर्चना करते देखा गया था। उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में अपनी धार्मिक यात्राएं जारी रखीं, जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया। उन्होंने राज्य में पवित्र स्थानों की यात्रा शुरू की और दिवंगत पार्टी के कार्यकर्ताओं और उनके रिश्तेदारों को श्रद्धांजलि दी थी। उनके कार्यकर्ताओं ने पार्टी का संदेश देने के लिए इन यात्राओं को सफल बनाया जो अभी भी राज्य के लोगों के दिलों में हैं।
इस बीच, वर्ष के अंत तक राजे के कार्यकर्ता जयपुर में आयोजित एक विशाल राजपूत रैली के मंच में अपने नेता को गायब देखकर हैरान रह गए। जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी समेत तमाम राजपूत दिग्गज नजर आए लेकिन राजे वहां नहीं थीं। जबकि कुछ नेताओं ने आईएएनएस से पुष्टि की कि राजे को रैली में आमंत्रित नहीं किया गया था, कुछ लोगों ने कहा कि वह आमंत्रित किए जाने के बावजूद रैली में शामिल नहीं हुईं थीं।
कुछ नेताओं ने पुष्टि की कि रैली के माध्यम से पार्टी को एक कड़ा संदेश दिया गया था कि राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होना चाहिए, जबकि अन्य कार्यकर्ता इस बारे में पूछे जाने पर चुप थे। इस बीच, भाजपा पदाधिकारियों ने पुष्टि की कि यह पहली बार है जब वसुंधरा राजे रैली के मंच पर नहीं थीं, जिसमें लगभग चार से पांच लाख राजपूतों ने भाग लिया था। इन सभी वर्षो में राजे के साथ क्या गलत हुआ, जो पूर्व में क्षत्रिय युवा संघ की रैलियों और कार्यक्रमों में शामिल थीं। 2008 में जयपुर में क्षत्रिय युवा संघ की रैलियों में उन्होंने भाग लिया था और 2017 में जोधपुर में भाग लिया था। लेकिन उनका इस रैली में मौजूद न रहना राज्य के लिए एक प्रश्न बन गया है।
(आईएएनएस)
Created On :   1 Jan 2022 3:31 PM IST