केरल के राज्यपाल ने दो टीवी चैनलों को प्रेस वार्ता कवर करने से रोका

Kerala governor stops two TV channels from covering press conference
केरल के राज्यपाल ने दो टीवी चैनलों को प्रेस वार्ता कवर करने से रोका
केरल सियासत केरल के राज्यपाल ने दो टीवी चैनलों को प्रेस वार्ता कवर करने से रोका

डिजिटल डेस्क, कोच्चि। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सोमवार को कोच्चि में आयोजित प्रेस वार्ता में आमंत्रित करने के बावजूद कैराली टीवी और मीडिया वन टीवी चैनलों के पत्रकारों को कार्यक्रम को कवर करने से रोक दिया। माकपा और कांग्रेस नीत यूडीएफ ने मीडिया के एक वर्ग को राज्यपाल द्वारा दरकिनार करने की आलोचना की है। मीडिया वन से खफा खान ने कहा कि यह चैनल झूठी खबरें चलाकर शाहबानो मामले में उनसे हिसाब चुकता कर रहा है, जबकि कैराली एक पार्टी चैनल है।

उन्होंने कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति पर उन्हें धमकी दी गई, लेकिन वह इसका सामना करने के लिए तैयार हैं। इस महीने की 15 तारीख को माकपा द्वारा उनके आधिकारिक आवास के सामने प्रस्तावित विरोध मार्च के लिए वाम दलों को निशाने पर लेते हुए राज्यपाल ने उनसे तब तक इंतजार नहीं करने को कहा। खान ने कहा कि राज्य में क्या हो रहा है, वह इस पर सार्वजनिक बहस में भाग लेने के इच्छुक हैं और उन्होंने इसमें सीएम विजयन को भी भाग लेने के लिए कहा।

उन्होंने कहा कि वह पद छोड़ने के लिए तैयार हैं, अगर राज्य सरकार यह साबित कर देती है कि वह शासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने कहा, राज्य सरकार राजभवन के कामकाज में हस्तक्षेप कर रही है। उन्होंने कहा, यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ शिकायत करने या कानूनी समाधान की मांग करने के लिए स्वतंत्र है। खान ने कहा कि वह जानते हैं कि विजयन कौन हैं, जब एक युवा आईपीएस अधिकारी ने पिस्तौल लहराई तो विजयन भाग गए थे।

आरोपों का जवाब देते हुए माकपा के राज्य सचिव एम.वी.गोविंदन ने राज्यपाल के आरोपों को गलत बताया। गोविंदन ने कहा एक राज्यपाल को बिना किसी भेदभाव के और संविधान के अनुसार निष्पक्ष तरीके से कार्य करना होता है। लेकिन यहां राज्यपाल हर चीज का उल्लंघन कर रहे हैं और तनाव पैदा कर रहे हैं। लेकिन माकपा हिलने वाली नहीं है क्योंकि केरल के लोग अंतिम निर्णय लेने वाले हैं।

विपक्ष के नेता वीडी सतीशन ने कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को कभी भी पक्षपातपूर्ण आचरण का सहारा नहीं लेना चाहिए। सतीशन ने कहा, मीडिया के एक वर्ग से बचना एक फासीवादी कार्यशैली और अलोकतांत्रिक शैली है और यह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है क्योंकि प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोपरि है। केरल यूनियन ऑफ वकिर्ंग जर्नलिस्ट्स ने भी मंगलवार को राजभवन के सामने विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा करते हुए खान के कृत्य की कड़ी निंदा की है।

(आईएएनएस)

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Created On :   7 Nov 2022 3:01 PM IST

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