स्थापना के 101वें साल में प्रवेश करते हुए सबसे निचले पायदान पर पहुंच गया अकाली दल
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। बड़ी संख्या में नेताओं के पार्टी छोड़ने और दो दशक पुराने गठबंधन सहयोगी भाजपा के अलग होने के साथ शिरोमणि अकाली दल अपने सबसे खराब स्थिति में पहुंच गई। हाल के चुनाव में लगातार दूसरी बार लोगों ने इसे नकार दिया है। 117 सदस्यों की विधान सभा में 2017 में मिले 15 सीटों से घटकर इसकी संख्या तीन हो गई। भाजपा जिसने 2017 में तीन सीटें जीती थीं, इस बार उसने दो सीटें हासिल कीं।
दो बार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, जिन्हें राजनीति में एक राष्ट्रवादी और सम्मानित सिख नेता के रूप में देखा जाता है, और प्रमुख हिंदू चेहरा सुनील जाखड़ के नेतृत्व में भगवा पार्टी सिख बहुल राज्य में अपनी जड़ें मजबूत कर रही है।
इस साल के विधानसभा चुनाव में अकाली दल, जो अब एक-व्यक्ति शासित पार्टी बन गया है, पांच बार के मुख्यमंत्री और पार्टी संरक्षक प्रकाश सिंह बादल और उनकेइकलौते बेटे सुखबीर सिंह बादल को अपनी-अपनी सीटों पर अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा।
यह राज्य विधानसभा चुनावों में पार्टी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था। बादलों के साथ-साथ उनके रिश्तेदार आप के नौसिखियों से हार गए। परास्त होने के बावजूद बड़े बादल किसानों के लिए पार्टी द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना करते हैं।
उन्हें अक्सर यह कहते हुए उद्धृत किया जाता है, कभी-कभी पार्टियों को उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। यह राजनीति में होता है। अकालियों का पद के लालच को खारिज करने और सिद्धांतों के लिए खड़े होने का एक लंबा इतिहास रहा है।
गौरतलब है कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर तीव्र मतभेद सामने आने के बाद सितंबर 2020 में अकाली दल ने दो दशक से अधिक लंबे संबंधों को तोड़ते हुए भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से हाथ खींच लिया।
2017 के विधानसभा चुनाव में एक दशक तक सत्ता से बाहर रही कांग्रेस को अकाली दल-भाजपा गठबंधन को हराकर 77 सीटें मिलीं। उस समय बड़े बादल ने लंबी सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अमरिंदर सिंह को 22770 मतों से हराकर विधानसभा चुनाव जीता था।
हाल के एक साक्षात्कार में बड़े बादल ने कहा कि वह चाहते हैं कि गुजरात और सिख विरोधी दंगों के दोषियों को दंडित किया जाए। आईएएनएस से बात करते हुए बादल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उत्कृष्ट और गौरवपूर्ण विरासत अकाली दल को आगे बढ़ाएगा।
गौरतलब है कि अकाली दल भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक था। यह 1996 में 13-दिवसीय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का समर्थन करने वाले पहले लोगों में से एक था, जो भारत के इतिहास में प्रधानमंत्री का सबसे छोटो कार्यकाल था।
अब काका-जी के रूप में पहचान रखने वाले सुखबीर बादल के समक्ष पार्टी को पुनर्गठित करने की चुनौती है। उनकी पत्नी हरसिमरत कौर बादल, जिनके पास मोदी के नेतृत्व वाली सरकारों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का पोर्टफोलियो था, संसद में राज्य-विशिष्ट मुद्दों को उठा रही हैं। पति-पत्नी की जोड़ी ने 2019 में संसदीय चुनाव जीता।
हाल ही में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की पहली महिला अध्यक्ष, बीबी जागीर कौर और पार्टी के दिग्गजों के पलायन के बाद पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने नौ सदस्यीय सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया। इससे पहले 2020 में राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा और उनके विधायक बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा को शिअद के शीर्ष नेतृत्व पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाने के लिए निष्कासित कर दिया गया था।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ज्यादातर वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं। वे पार्टी में नई जान फूंकना चाहते हैं। बागी आवाजें बुलंद हो रही हैं। पार्टी के लिए यह आत्मनिरीक्षण करने का सही समय है।
दिलचस्प बात यह है कि अकाली दल के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने भाजपा के साथ कथित संबंधों को लेकर बीबी जागीर कौर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पार्टी पर सवाल उठाया। अपने हालिया बयानों में सुखबीर बादल ने कहा कि अकाली दल पंजाब समर्थक, अल्पसंख्यक समर्थक, किसान समर्थक और गरीब समर्थक एजेंडे से कभी नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय और पंजाब से जुड़े कई मुद्दे अनसुलझे हैं और पार्टी उनके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचने को सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस मुद्दे में गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर उन सभी सिख बंदियों की रिहाई सुनिश्चित करना शामिल था, जिनकी सजा केंद्र सरकार द्वारा कम कर दी गई थी। चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने के साथ-साथ पंजाब विश्वविद्यालय का दर्जा सुनिश्चित करने जैसे अन्य मुद्दे भी शामिल हैं।
इस सप्ताह लोकसभा में चेतावनी देते हुए हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार में मादक पदार्थ-आतंकवाद के उदय के साथ ड्रग माफिया-राजनीतिज्ञ गठजोड़ न केवल पंजाब को बल्कि देश के लिए भी नुकसानदेह है। उन्होंने कहा, नशीले पदार्थों की तस्करी, कानून-व्यवस्था के टूटने और शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने के संयोजन के कारण पंजाब एक जलते हुए ज्वालामुखी के समान है और गृह युद्ध के कगार पर है।
उन्होंने कहा कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले नशे का सफाया करने का वादा किया था, लेकिन नौ महीनों में नशे की समस्या पंजाब को अस्थिर कर रही है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है।
उन्होंने कहा कि हथियारों के साथ पंजाब में नशे की तस्करी की जा रही है और पंजाब में नार्को-आतंकवाद का उदय हुआ है। अकाली दल-भाजपा (पहले जनसंघ) गठबंधन को समकालीन राजनीति में सबसे पुराना और सबसे मजबूत गठबंधन बताया गया है।
27 मार्च, 1970, जब प्रकाश सिंह बादल पहली बार देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने, के बाद से किसी अन्य गठबंधन ने इतनी अधिक राजनीतिक लड़ाइयों का सामना नहीं किया है।
अब तक, कांग्रेस ने राज्य में सात पूर्णकालिक सरकारों - 1952, 1957, 1962, 1972, 1992, 2002 और 2017 का आनंद लिया। अकाली दल ने 1997 में आजादी के बाद अपना पहला पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी बनकर इतिहास रच दिया और 2007 और 2012 में अपनी उपलब्धि दोहराई।
(आईएएनएस)
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Created On :   24 Dec 2022 12:30 PM IST