मोदी-ममता की चुनावी जंग के नाम रहा साल, चुनाव आयोग को मिला नया तजुर्बा

EC got experience of conducting elections in pandemic, next year elections will be held in due course
मोदी-ममता की चुनावी जंग के नाम रहा साल, चुनाव आयोग को मिला नया तजुर्बा
अलविदा 2021, अनुभव का लाभ मोदी-ममता की चुनावी जंग के नाम रहा साल, चुनाव आयोग को मिला नया तजुर्बा
हाईलाइट
  • कोरोना की मार में मताधिकार कर चुनी सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना महामारी का प्रकोप पैर पसार रहा था। 2020 साल महामारी का दंश झेलते हुए खत्म अलविदा हो ही रही थी और डर के नए साए में नई साल 2021 का दहलीज पर स्वागत हुआ ही था कि साल के शुरूआत में ही चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव कराने की घोषणा कर दी। एक तरफ लोग कोरोना के दंश से उभर ही रहे थे कि चुनावों में मताधिकार का उपयोग महामारी में सावधानी के साथ करना लोगों के साथ आयोग के लिए भी एक चुनौती थी। लेकिन पिछली साल के बिहार राज्य के चुनाव से सबक और अनुभव लेते हुए चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में इलेक्शन की न केवल घोषणा की वरन उन्हें बड़ी सूझबूझ से संपन्न भी कराया। 

                                           

EC ने की तारीख का ऐलान

मुख्य चुनाव आयुक्त ने देश के 4 राज्यों और एक केंद्र शासित राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की। साल के शुरूआत माह फरवरी के अंत में आयोग ने तारीखों का ऐलान किया। कोरोना महामारी के कारण चुनाव आयोग संक्रमण का ध्यान रखते हुए मतदान केंद्रों की संख्या में इजाफा किया। इस दौरान सबसे खास बात ये देखी गई कि चुनाव से पहले ज्यादातर चुनाव कर्मचारियों को कोरोना का टीका लगाया गया। सभी पांच राज्यों में एक साथ 2 मई को चुनावी नतीजें घोषित किए गए।

                                                                      
 

EC की सख्ती के बीच सबसे ज्यादा चरणों में चुनाव WB में हुआ, 

केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में एक चरण में चुनाव हुए। असम में तीन और पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव संपन्न हुए। चुनाव आयोग ने सावधानी तैयारियों के बीच में प्रचार में कोविड सुरक्षा नियमों का उल्लंघन होने पर प्रचार में कड़ाई बरती और सख्ती दिखाई इसके चलते रोडशो, वाहन रैलियों पर रोक लगा दी, साथ ही जनसभाओं में अधिकतम 500 लोगों के जमा होने की अनुमति दी थी।  चुनाव आयोग ने मतगणना के दौरान और बाद में जीत का जुलूस निकालने पर भी बैन लगा दिया था।
तमिलनाडु में 232 सीटों के लिए छह अप्रैल को एक ही चरण में वोट डाले गए। चुनाव आयोग ने 2016 विधानसभा चुनाव में बने 66007 केंद्र के मुकाबले इस बार 88936 चुनावी केंद्र बनाए। केरल में 140 विधानसभा सीटों पर और पुड़ुचेरी में 30 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए।
 

 2021 चुनावों का हॉट स्पॉट बना WB, इकलौती ममता ने मोदी को दी मात

कोरोना महामारी में कोविड़ संक्रमण के खतरे को देखते हुए 2021 के चुनावों में सबसे ज्यादा हॉट स्पॉट बने पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव हुआ। ममता बनर्जी के गढ़ वेस्ट बंगाल में एक लाख से अधिक चुनाव केंद्र बनाए गए। पश्चिम बंगाल में 2016 की अपेक्षा 77413 केंद्र की जगह 101916 मतदान केंद्र बनाए गए।  दुनियाभर की नजरें पश्चिम बंगाल चुनाव पर टिकी हुई थी। इस बार के चुनाव में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी को निराशा हाथ लगी। बीजेपी के लिए संतोष की बात यह रही कि उसका आंकड़ा तीन से बढ़कर 77 तक जा पहुंचा और वह नंदीग्राम में ममता बनर्जी को शिकस्त देने में भी सफल रही। जो सीएम का चेहरा थी। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की। ममता बनर्जी ने लगातार तीसरी बार राज्य विधानसभा में पार्टी को जीत दिलाई है सत्तारूढ़ तृणमूल ने 292 सीट में से 213 सीट जीतीं। वहीं बीजेपी ने 77 सीट जीतकर बड़े विपक्षी दल के रूप में उभरा। हालंकि 34 सालों तक राज्य की सत्ता पर काबिज रहने वाली सीपीएम इस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीती। वहीं पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन देखने को मिला। आपको बता दें कांग्रेस का इस चुनाव में खाता तक नहीं खुल पाया। 

                               

असम में खिला फूल

पश्चिम बंगाल में निराशा के बीच बीजेपी के लिए असम से चुनावी परिणाम राहत भरा रहा। बीजेपी गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 71 सीट जीतकर सत्ता पर कब्जा किया।

तमिलनाडु में सीएम बने स्टालीन

तमिलनाडु में मुख्य रूप से चार गठबंधनों के बैनर तले विभिन्न पार्टियों ने चुनाव लड़ा। पंथनिरपेक्ष प्रगतिशील गठबंधन का नेतृत्व एम. के. स्टालिन, राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन का नेतृत्व ई. पलानिस्वामी, अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगमका नेतृत्व टीटीके दिनाकरण जबकि मक्कालिन मुधल कूटनी का नेतृत्व ऐक्टर कमल हसन ने किया चुनावी नतीजों से सबसे आगे रहे एम के स्टालिन। और स्टालिन सीएम बने।

केरल में विजय की विजय

दो मई 2021 के चुनावी परिणामों ने केरल में पिनराई विजयन के नेतृत्व में एलडीएफ ने  विजय हासिल की।  लेफ्ट गठबंधन को 92 सीटों पर जीत मिली है। पिनराई विजयन मुख्यमंत्री बने। वहीं कांग्रेस गठबंधन को 39 सीटें मिली। एनडीए का राज्य में खाता तक नहीं खुला।

पुडुचेरी में पहली बार बीजेपी

महामारी के दैरान हुए मतदान के चुनावी  परिणामों में पुडुचेरी में पहली बार बीजेपी  सरकार का हिस्सा बनी। बीजेपी ने छह सीटें जीतकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनाने में कामयाब हुई। राजग ने पुडुचेरी में बहुमत के लिए आवश्यक 16 के जादुई आंकड़े को पा लिया। तीस सीटों की विधानसभा वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री एन रंगासामी के नेतृत्व वाले एनआर कांग्रेस ने दस सीटें और उसकी सहयोगी बीजेपी ने छह सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाला गठबंधन तीन सीटों पर विजयी रहा है। पुडुचेरी में कुल 33 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 30 विधायक चुनाव के जरिए चुने जाते हैं, जबकि तीन केंद्र द्वारा नामित किए जाते। एन रंगासामी चौथी बार पुडुचेरी के सीएम बने। इससे पहले वो तीन  बार पुडुचेरी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पुडुचेरी में एआईएनआरसी और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी है।

EC को मिला अनुभव, जो आगे आएगा काम 
चुनाव आयोग ने पिछले साल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कोविड मुक्त चुनाव कराने के लिए कई अहम कदम उठाए थे। चुनाव आयोग के पहली बार सराहनीय कदम में 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और कोविड-19 पीड़ितों के लिए डाक मतपत्र की इजाजत दी गई थी। इसी तरह के कदम बाद में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में भी उठाए गए। चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव आयोग ने चुनाव कराए और आयोग ने कोरोना जैसी भयावह महामारी में अनुभव लिया। अब चुनाव आयोग बड़े गर्व के साथ कहता है हमने महामारी में चुनाव कराने का काफी अनुभव हासिल किया है। इसी अनुभव के दम पर चुनाव आयोग कह रहा है कि कोरोना के नए वैरिएंट से उपजी महामारी उम्मीदों के बीच हम अगले साल पांच राज्यों यूपी, पंजाब,उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर  में होने वाले विधानसभा चुनावों को तय कार्यक्रम के अनुसार समय पर कराने की स्थिति में बिल्कुल सही साबित होंगे। और उन्हें भी संपन्न कराएंगे।

 

Created On :   16 Dec 2021 4:58 PM IST

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