बैग खरीदी में बड़ा झोल-झाल- पीएम-सीएम की तस्वीर वाले बैग में बंटेगा राशन, करोड़ों रूपये में हुई बैग खरीदी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मप्र शासन के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा आनन-फानन में 1 करोड़ 20 लाख बैग की खरीदी, सैंपल और इसके टेंडर में गड़बड़ी से विवाद खड़ा हो गया है। राज्य शासन ने निर्णय लिया है कि 7 जुलाई को उचित मूल्य की दुकानों से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का राशन बैग में बांटा जाएगा। इस बैग पर प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की तस्वीर प्रिंट करवाई गई है। बैग खरीदी की प्रक्रिया में 16 फर्मों/ कंपनियों ने हिस्सा लिया। खरीदी से पूर्व राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग (सीपेट) की लैब में बैग की गुणवत्ता टेस्ट करवाई, जिसमें 10 फर्मों/कंपनियों के सैंपल फेल हो गए, इसके बावजूद इन्हें खरीदी प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है। सीपेट की लैब में आदित्य ट्रैडिंग, अलेक्स इंडस्ट्रीज, मेहता ग्राफिक्स और विल्सन प्रिंट सिटी चार कंपनियां/फर्म ही पास हो पाई। इसके बावजूद जिन कंपनियों/फर्मों के सैंपल फेल हुए, उन्हें भी खरीदी प्रक्रिया की तकनीकी बिड में शामिल कर लिया गया। इनकी प्राइज बिड भी खोल दी गई। जबकि जिनके सैंपल फेल हो चुके उन्हें इसमें शामिल नहीं किया जा सकता। कुछ कंपनियों ने तो रजिस्टे्रशन, बैलेंस शीट, टर्नओवर सर्टिफिकेट, सीए सर्टिफिकेट, अधूरे कागज, खरीदी की शर्तों को पूरा नहीं करने वालों को भी खरीदी प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया है।
भास्कर ने सबसे पहले दी खबर
दैनिक भास्कर अखबार के 26 जून के अंक में नगरीय निकाय चुनाव से पहले बैग में 5 महीने का राशन किट बांटेगी सरकार, शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया गया था। इसके बाद कैबिनेट ने बैग में राशन देने को मंजूरी दी थी। अब सरकार स्थानीय चुनावों से पहले बैग में राशन बांटेगी।
मुख्यमंत्री से शिकायत
कुछ फर्मों ने खरीदी प्रक्रिया की गड़बड़ी की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रमुख सचिव, खाद्य फैज अहमद किदवई को शिकायत की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि विभाग के संयुक्त संचालक एचएस परमार और पारुल शुक्ला ने फर्मों के दस्तावेज देखे बिना उन्हें शामिल कर लिया गया है। सीपेट की लैट रिपोर्ट में सैंपल अमानक पाए जाने के बावजूद इन्हें भी शामिल कर लिया। घटिया सामग्री होने के कारण कम दरों पर बैग सप्लाय होंगे, जो सीपेट की रिपोर्ट में बताया गया है कि खराब गुणवत्ता है।
जल्दबाजी में गुणवत्ता नजरअंदाज
दरअसल, बैग खरीदी का निर्णय इतना जल्दी लिया गया कि ठीक से खरीदी प्रक्रिया का समय भी नहीं मिल पाया। 7 अगस्त को गरीबों तक सरकार यह बैग इसलिए पहुंचाना चाहती है कि इसके बाद उपचुनाव व नगरीय निकाय चुनावों की आचार संहिता लगने की आशंका है और सरकार नगरीय निकाय चुनाव के पूर्व ही गरीबों के हाथों में बैग देना चाहती हैं, ताकि सरकार की ब्रांडिंग हो सके। इसके लिए खरीदी प्रक्रिया का न्यूनतम समय तय किया गया। इसमें लैब रिपोर्ट, कागज, और बैग की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया। गुरुवार को इसके रेट ओपन किए गए तो आदर्श थेली उद्योग को सबसे कम 13.99 रुपए प्रति बैग में सप्लाय का रेट आया। जबकि जिन चार फर्मों का सैंपल पास हुआ था, उसमें आदर्श थेली उद्योग शामिल नहीं है। अब विभाग के अधिकारी अन्य फर्मों को भी 13.99 रुपए प्रति बैग में सप्लाय करने का ऑफर दे रहे हैं।
इनका कहना है
जिन चार फर्मों के सैंपल पास हुए, वे चाहती थी कि सारा काम उन्हें ही मिल जाए। सरकार का मानना है कि कम से कम दर में काम हो जाए, ताकि सरकार का पैसा बचाया जा सके।
तरुण पिथौड़े, आयुक्त सह संचालक, खाद्य
Created On :   23 July 2021 7:22 AM GMT