145 दिन पैदल चलने के बाद अब होगा राहुल गांधी की यात्रा का नौ राज्यों में होगा असल इम्तिहान, फिलहाल चुनावी राज्यों में ये है कांग्रेस का हाल

After walking for 145 days, the real test of Rahul Gandhis journey will be in nine states, at present this is the condition of Congress in the election states
145 दिन पैदल चलने के बाद अब होगा राहुल गांधी की यात्रा का नौ राज्यों में होगा असल इम्तिहान, फिलहाल चुनावी राज्यों में ये है कांग्रेस का हाल
यात्रा के बाद इम्तिहान की बारी 145 दिन पैदल चलने के बाद अब होगा राहुल गांधी की यात्रा का नौ राज्यों में होगा असल इम्तिहान, फिलहाल चुनावी राज्यों में ये है कांग्रेस का हाल

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। देश से विदेश तक राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा काफी सुर्खियों में रहा। उनका दक्षिण के राज्य से चलना और उत्तर के राज्य जम्मू-कश्मीर में जाकर ध्वजा रोहण करके यात्रा का समापन करना,काफी दिलचस्प रहा था। कांग्रेस पार्टी भले ही कहे कि राहुल गांधी की यह यात्रा नफरत को खत्म करने और प्यार बरसाने के लिए रही है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इस तर्क को नकार रहे हैं। हालांकि, इन सब से उलट राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा को राजनीतिक पंडित कांग्रेस में जान फूंकने की एक कोशिश मानते हैं।

साल 2024 के लोकसभा चुनाव से भी इस यात्रा को जोड़ कर देखा जा रहा है। लेकिन आमचुनाव से पहले इसी साल 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। जो साल 2024 के लोकसभा चुनाव में  कांग्रेस की असल परीक्षा साबित होंगे। वहीं हाल ही में कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा समाप्त की है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। हालांकि, इन 9 राज्यों में कांग्रेस की स्थिति कहीं बेहतर है तो कहीं पार्टी राज्य से खत्म होने के कगार पर आ पहुंची है। आइए जानते हैं इन 9 राज्यों में देश की सबसे पुरानी पार्टी का क्या हाल है।  

राजस्थान 

सबसे पहले राजस्थान की बात करते हैं जहां पर कांग्रेस पार्टी की ही सरकार है। लेकिन कांग्रेस की अंतरकलह किसी से छुपा नहीं है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खींचतान चलती रहती है। कांग्रेस पार्टी राजस्थान के 200 विधानसभा सीटों में से 100 सीटों पर काबिज है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उसे 39 फीसदी वोट शेयर मिले थे। इसी के साथ भाजपा के हाथों से सत्ता छीनने के बाद  कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही थी।

मध्य प्रदेश

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को ही बहुमत मिला था। पार्टी ने सरकार भी बनाई लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से बगावत कर अपने कुछ साथी विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसके तुरंत बाद कमलनाथ की सरकार प्रदेश की सत्ता से बाहर हो गई थी। कांग्रेस की सरकार करीब 15 महिने में ही गिर गई थी। भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान पर विश्वास जताते हुए एकबार फिर मुख्यमंत्री बनाया। वहीं साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 41 फीसदी वोट के साथ 230 विधानसभा सीटों में से 117 सीटों पर जीत हासिल की थी।

छत्तीसगढ़ 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं। यहां भी बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव में तनातनी चलती रहती है। लेकिन फिर भी यहां की स्थिति काफी बेहतर है। ऐसा संभव है कि एक बार फिर कांग्रेस पार्टी राज्य के विधानसभा चुनाव में भारी मार्जिन से जीत हासिल करे। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य के 90 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने 68 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को काफी बुरी तरह से पटखनी दी थी। वहीं कांग्रेस पार्टी को 43 फीसदी वोट शेयर भी मिले थे। 

दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस को मिलीजुली प्रतिक्रिया

कर्नाटक

दक्षिण राज्य कर्नाटक में मौजूदा भाजपा की सरकार है। हाल ही में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राज्य से होकर गुजरी है। कांग्रेस को लेकर प्रदेश में चुनावी बयार को देखा जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 224 सीटों में से 80 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इनकी वोट प्रतिशत 38 रहा था। 

तेलंगाना

तेलंगाना में कांग्रेस को मुख्य विपक्षी दल से हटाकर भाजपा आ सकती है। प्रदेश कांग्रेस में गहमा-गहमी की वजह से कांग्रेस राज्य में कमजोर पड़ती हुई नजर आ रही है। बता दें कि,  टीआरएस पार्टी के चीफ के. चन्द्रशेखर तेलंगाना के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। वहीं साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 119 सीटों में से महज 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, वोट प्रतिशत 28 फीसदी के साथ अच्छा खासा रहा था।

पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस की स्थिति

त्रिपुरा

त्रिपुरा में तीन दशक से लेफ्ट ने ही राज किया था। लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने लेफ्ट को सत्ता से उखाड़ फेंका था। वहीं कांग्रेस करीब तीन दशक से प्रदेश की सत्ता से दूर है। हालांकि, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन कर भाजपा को हराने का प्रयास कर सकते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 60 सीटों में से एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी। जबकि वोट शेयर 2 फीसदी के आस-पास तक रहा था।

मिजोरम

साल 2013 में जहां पार्टी ने 40 विधानसभा सीटों पर लगभग क्लीन स्वीप किया था। जबकि साल 2015 में केवल 5 सीटों पर ही सिमट कर रह गई थी। इसके बाद से ही कांग्रेस कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वोट शेयर 30 फीसदी तक रही थी।

नागालैंड

पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में कांग्रेस न मात्र की बची है। यहां पार्टी का कोई भी पदाधिकारी ज्यादा सक्रीय दिखाई नहीं देता है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया था। 60 विधानसभा सीटों वाले राज्य में कांग्रेस के खाते में शून्य आया था। जबकि इनका वोट प्रतिशत भी मात्र 2 फीसदी रहा था। 

मेघालय

पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस की मजबूती मेघालय में थोड़ी देखी जाती है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। लेकिन इसके कई विधायक दूसरे दलों में जा मिले थे। जिसकी वजह से कांग्रेस को विपक्ष में रहना पड़ा था। कांग्रेस को इस चुनाव में 60 सीटों में से 21 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। उनका वोट प्रतिशत करीब 30 फीसदी तक रहा था। अब देखना होगा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को क्या फायदा होता है? या महज पद यात्रा बनकर रह जाती है।

Created On :   4 Feb 2023 3:49 PM IST

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