अर्थव्यवस्था: बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों ने रिलायंस और अदाणी समूहों के बीच सहयोग की सराहना की
मुंबई, 29 मार्च (आईएएनएस)। बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों ने शुक्रवार को मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और गौतम अदाणी की अध्यक्षता वाले अदाणी समूह के बीच सहयोग की सराहना की। आरआईएल ने मध्य प्रदेश में अदाणी समूह के बिजली संयंत्र में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है।
उन्होंने दावा किया कि यह देश के बिजली क्षेत्र के प्रमुख अध्यायों में से एक है, विशेष रूप से इसकी 4,28,000 मेगावाट की स्थापित क्षमता और 2030 तक इसमें 5,00,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना को देखते हुए।
बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि इस क्षेत्र को उदार बनाने के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा प्रोत्साहन के मद्देनजर इस तरह के कई और सहयोग होंगे।
सहयोग के अनुसार, आरआईएल 50 करोड़ रुपये में अदाणी पावर की सहायक कंपनी महान एनर्जेन में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी और मध्य प्रदेश संयंत्र के लिए 500 मेगावाट बिजली खरीदेगी।
अदाणी पावर के अनुसार, मध्य प्रदेश में महान थर्मल पावर प्लांट की 600 मेगावाट क्षमता वाले एक संयंत्र को निर्धारित मानदंडों के अनुसार कैप्टिव यूनिट के रूप में नामित किया जाएगा।
इस पर टिप्पणी करते हुए, पूर्व बिजली सचिव आर.वी. शाही ने कहा, "देश के दो सबसे बड़े समूहों के बीच सहयोग से न केवल ऐसे सहयोगों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सहयोग के अन्य प्रयासों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे सफलता की और भी अधिक ऊंचाइयां हासिल होंगी।"
उन्होंने कहा, "विद्युत अधिनियम, 2003 के बाद जो हासिल किया गया है, वह उससे पहले के 50 वर्षों के दौरान हासिल उपलब्धियों से तीन गुना से ज्यादा है।"
शाही ने कहा, "यह नवीकरणीय ऊर्जा का युग है, जिसे बिजली उत्पादन के डी-लाइसेंसिंग से भी मदद मिली है, जिसने बिजली क्षेत्र में विकास को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया है। हम वर्ष 2032 तक आठ लाख मेगावाट से अधिक क्षमता हासिल करने के लिए तैयार हैं।
"2032 के बाद अगले 10 वर्षों में पूरी क्षमता को दोगुना किया जा सकता है, जिससे क्षमता 1,500 गीगावॉट से अधिक हो जाएगी। यह जीडीपी को पांच लाख करोड़ डॉलर और उससे भी अधिक तक बढ़ाने की देश की विकास रणनीति के मूल में होगा।"
एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स के महानिदेशक, अशोक खुराना ने कहा, "यह सहयोग उदारीकृत कैप्टिव बिजली आपूर्ति ढांचे के साथ-साथ ट्रांसमिशन लाइसेंसिंग प्रणाली में बदलाव के कारण संभव हुआ है, जहां उपभोक्ताओं को ट्रांसमिशन लाइसेंस की अनुमति दी गई है, जबकि केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने इसके लिए प्रक्रियाएं सरल की हैं। वास्तव में, हम जनरेटर और उपभोक्ताओं के बीच ऐसे कई सहयोग देखेंगे।"
महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (एमईआरसी) के पूर्व सदस्य जयंत देव ने जोर देकर कहा कि भारत के दो शीर्ष व्यापारिक घरानों का बिजली क्षेत्र में सहयोग करना देश की ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक अच्छा संकेत है।
इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संस्थापक हैरी धौल ने बताया कि इस तरह के सहयोग ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से भारतीय बिजली क्षेत्र के विकास के लिए सकारात्मक कदम हैं।
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Created On :   29 March 2024 10:52 PM IST