भोपाल गैस पीड़ितो के इलाज की व्यवस्था न करने पर अफसरों पर हाईकोर्ट सख्त
भोपाल, 16 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए गैस हादसे के प्रभावितों के स्वास्थ्य के मामले में सरकारी अफसरों के रवैए पर जबलपुर उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है। साथ ही केंद्र व राज्य के नौ अफसरों के खिलाफ अवमानना के तहत प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया है।
भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढ़ीगरा ने बताया कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस शील नागू और देवनारायण मिश्र की खंडपीठ ने भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के नौ उच्च अधिकारियों पर भोपाल गैस पीड़ितों को सही इलाज एवं शोध व्यवस्था मे सहयोग न प्रदान कर पाने और सुप्रीम कोर्ट के भोपाल गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य के मामले के नौ अगस्त 2012 के आदेश की लगातार अवमानना के सम्बन्ध पर अवमानना का प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की रशीदा बी, भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव, भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की नसरीन बी और भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने न्यायपालिका के आदेश स्वागत करते हुए कहा है कि इस आदेश को मिसाल बनाना चाहिए ताकि जिन अधिकारियों के वजह से गैस पीड़ितों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पाया उन्हें अपनी गलती का अहसास हो।
उन्होंने बताया कि खंडपीठ द्वारा इन सभी अधिकारियों पर लगाए गए चार्ज में लिखा है, "सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति के जुलाई 2023 की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि 10.5 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आप सभी प्रतिवादियों ने सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करने में कोई तत्परता या ईमानदारी नहीं दिखाई। गैस पीड़ितों को अधर में छोड़ दिया जा रहा है। आप सभी ने (पीआईएल) की अवधारणा को एक मजाक बना दिया है । इस न्यायालय को गैस पीड़ितों के प्रति आपकी असंवेदनशीलता को छोड़कर कोई अन्य कारण दिखाई नहीं देता।"
गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वाले संगठनों के अनुसार, आदेश में कहा गया है कि न्यायालय अवमाननाकर्ताओं के विरुद्ध कठोर कदम उठाने के लिए बाध्य है। आपने न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2 बी के तहत परिभाषित उपरोक्त आदेशों की नागरिक अवमानना की है, जो न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 12 (10) के तहत दंडनीय है और इस अदालत के संज्ञान में है। आप पर मुकदमा चलाया जाए।
--आईएएनएस
एसएनपी/एसकेपी
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Created On :   16 Jan 2024 7:03 AM GMT