समाज: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से सशक्त हुए नीमच के विष्णु सेन, व्यवसाय का किया विस्तार

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से सशक्त हुए नीमच के विष्णु सेन, व्यवसाय का किया विस्तार
भारत की पारंपरिक कला और शिल्प को बढ़ावा देने वाली प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना अब देश के कारीगरों और शिल्पकारों के जीवन में बदलाव ला रही है। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक हुनर को संरक्षित करना और इससे जुड़े लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना है।

नीमच, 18 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत की पारंपरिक कला और शिल्प को बढ़ावा देने वाली प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना अब देश के कारीगरों और शिल्पकारों के जीवन में बदलाव ला रही है। इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक हुनर को संरक्षित करना और इससे जुड़े लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना है।

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से मध्य प्रदेश के नीमच जिले के बामोरा गांव के निवासी विष्णु सेन को भी लाभ मिला है। पेशे से एक सैलून संचालक विष्णु सेन ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में आवेदन किया था। उन्हें योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण के दौरान 4,000 रुपये की सहायता राशि दी गई और बाद में 50,000 रुपये का लोन भी प्राप्त हुआ। इस राशि से विष्णु ने अपने सैलून के लिए जरूरी उपकरण खरीदे और अपने व्यवसाय का विस्तार किया।

विष्णु सेन ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में बताया, "मैंने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत आवेदन किया था, जिसमें मुझे प्रशिक्षण मिला और प्रशिक्षण के दौरान 4,000 रुपये भी मिले। इसके अलावा, योजना के तहत 50,000 रुपये का लोन भी मिला, जिसे मैंने अपने सैलून में निवेश किया। इससे मेरे काम में काफी सुधार हुआ है और अब मैं पहले से ज्यादा कमाई कर रहा हूं। यह योजना हमारे जैसे छोटे व्यवसायियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इससे न केवल आर्थिक सहायता मिली बल्कि हमें नई तकनीकों को अपनाने का मौका भी मिला है, जिससे हमारा कार्य और अधिक कुशल और आधुनिक हुआ है।"

विष्णु सेन ने इस योजना से मिली मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि इस तरह की योजनाएं देश के ग्रामीण और पारंपरिक कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2023 को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर इस योजना की शुरुआत की थी। इसका मकसद उन गरीब कारीगरों और शिल्पकारों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो पीढ़ियों से अपने पारंपरिक व्यवसायों में लगे हुए हैं। योजना के तहत बढ़ई, लोहार, सुनार, कुम्हार, दर्जी, नाई, मोची, मूर्तिकार, खिलौना निर्माता जैसे हजारों पारंपरिक पेशों से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ 50 हजार रुपये तक का लोन भी प्रदान किया जा रहा है।

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Created On :   18 April 2025 11:39 AM IST

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