राजनीति: बाबा साहेब के विचारों को साकार कर रहे सीएम योगी, ‘समता-सम्मान’ की राह पर बढ़ा उत्तर प्रदेश

लखनऊ, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। योगी सरकार की दलित उत्थान से संबंधित योजनाएं सामाजिक न्याय के आदर्शों को साकार करती दिख रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीते आठ वर्षों में राज्य सरकार ने शिक्षा, स्वरोजगार, सामाजिक सुरक्षा और सम्मान जैसे क्षेत्रों में जो ठोस कदम उठाए हैं, वह दलित समाज को न केवल बराबरी का हक दिला रहे हैं, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी प्रेरक साबित हो रहे हैं।
योगी सरकार ने बाबा साहेब के 'शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो' के मंत्र को धरातल पर उतारने का संकल्प लेते हुए प्रदेश के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए सौ सर्वोदय विद्यालयों की स्थापना की है, जिसमें अनुसूचित जाति के लिए 60 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। इन विद्यालयों में 2.65 लाख बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है। छात्रों को यूनिफॉर्म, किताबें, स्टेशनरी और टैबलेट जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं, जिससे शिक्षा का स्तर सुधरा है और नामांकन दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
योगी सरकार ने मिर्जापुर के मड़िहान में संचालित जय प्रकाश नारायण सर्वोदय (बालिका) विद्यालय में जेईई और नीट के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की है। साथ ही टीसीएस, खान अकादमी, एम्बाइब आदि संस्थानों से एमओयू कर तकनीकी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की है। इसके अलावा, योगी सरकार अनुसूचित जनजाति के बच्चों को कक्षा 6 से 12 तक गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय संचालित कर रही है, जिसमें 1,440 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
बीते 8 वर्षों में योगी सरकार ने अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए भी शिक्षा को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई है। इनके लिए अनुसूचित जाति पूर्वदशम के 33,38,180 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति से लाभान्वित किया गया है, वहीं दशमोत्तर के लिए 88,61,997 लाभार्थियों को योगी सरकार ने छात्रवृत्ति योजना के तहत लाभ प्रदान किया है। दलित व अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने छात्रवृत्ति योजनाओं में भारी निवेश किया है। वित्त वर्ष 2025-26 में अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पूर्वदशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना हेतु 968 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
योगी सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में पिछड़े वर्गों के विकास को भी प्राथमिकता दी है। पिछड़ा वर्ग पूर्वदशम एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना के तहत 2,825 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, पिछड़े वर्ग के निर्धन परिवारों की बेटियों की शादी में आर्थिक सहायता के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। युवाओं के कौशल विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पिछड़े वर्ग के बेरोजगार युवक-युवतियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिलाने हेतु 35 करोड़ रुपए की राशि प्रस्तावित की गई है। इससे प्रदेश के हजारों युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
2017 से सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने जनजाति कल्याण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। पीएम-जनमन के अंतर्गत पीवीटीजी को शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, पक्के मकान, सड़कें, पेयजल, दूरसंचार, सोलर लाइट आदि मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। प्रदेश की बुक्सा जनजाति के सभी 815 परिवारों को योजना से लाभ देकर उनकी सामाजिक सुरक्षा और विकास सुनिश्चित किया गया है। साथ ही 42 वनग्राम को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित कर उनका विकास किया गया है।
स्वरोजगार के क्षेत्र में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं वित्त विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से अब तक 1.08 लाख दलित युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा है। साथ ही उनकी उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 955.49 करोड़ रुपए स्वीकृत कर करीब 1.20 लाख दलितों को ऋण सहायता देकर आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया गया है। इनमें अधिकांश लाभार्थियों को 50 प्रतिशत अनुदान के साथ लोन मिला है।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 1,951 दलित बहुल गांवों में 93,400 विकास कार्य कराए गए हैं। सोलर लाइट, शौचालय, पेयजल, सड़क और सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण से इन गांवों की तस्वीर बदली है। इनमें रहने वाले करीब 19 लाख वंचितों को इसका लाभ मिला।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के आंकड़े यह स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के लिए यह योजना कितनी प्रभावशाली साबित हुई है। अब तक इस योजना का सबसे अधिक लाभ दलित वर्ग ने उठाया है, जिसमें 2.20 लाख से अधिक गरीब परिवारों की बेटियों की शादी कराई गई है। वहीं, पिछड़े वर्ग के 1.30 लाख परिवार और अल्पसंख्यक वर्ग के 40,000 से अधिक परिवार इस योजना के लाभार्थी बने हैं। बाबा साहेब के विचारों को समर्पित ये योजनाएं न केवल दलित समाज का सामाजिक और आर्थिक उत्थान कर रही हैं, बल्कि उन्हें गरिमा और आत्मसम्मान के साथ जीने का आधार भी दे रही हैं।
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Created On :   14 April 2025 4:30 PM IST