मानवीय रुचि: 'गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों का बलिदान प्रेरणादायी', सिख समाज ने पीएम मोदी का जताया आभार

गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों का बलिदान प्रेरणादायी, सिख समाज ने पीएम मोदी का जताया आभार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' मनाया जाता है। यह दिन सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहिबजादे नौ साल के बाबा जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई पांच साल के बाबा फतेह सिंह की वीरता को समर्पित है। इसी दिन देश 17 वीर नौनिहालों को सम्मानित करेगा। सिख समाज बहुत प्रसन्न है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जता रहा है।

नई दिल्ली, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' मनाया जाता है। यह दिन सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहिबजादे नौ साल के बाबा जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई पांच साल के बाबा फतेह सिंह की वीरता को समर्पित है। इसी दिन देश 17 वीर नौनिहालों को सम्मानित करेगा। सिख समाज बहुत प्रसन्न है और इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जता रहा है।

सरदार आनंद सिंह दसवें गुरु को याद कर कहते हैं, मैं गुरुद्वारों में तबले की सेवा करता हूं। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीर बाल दिवस की घोषणा की थी। हमारे दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी थे, उनके चार बेटे थे, उन्होंने भी अपने धर्म के लिए बलिदान दिया था। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने मुसलमान धर्म कबूल नहीं किया और उन्होंने मुसलमानों के आगे घुटने नहीं टेके। फिर उनको सजा ए मौत के तौर पर दीवारों में चुनवा दिया गया। वीर बाल दिवस पर हम उन्हें याद करते हैं। हमें इस बात की बहुत खुशी है कि हमें इतना सम्मान दिया जा रहा है। गुरु गोविंद सिंह जी के चार पुत्रों के बारे में बताया जा रहा है। इस बात से हम बहुत खुश हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी जी ने यह सब काम करवाया।

गुरुविंदर पाल सिंह राजू ने पीएम मोदी का आभार जताते हुए कहा, यह एक महान संदेश है जो पीएम मोदी ने दिया है। लोगों को इस दिन के बारे में जागरूक करने के लिए हम वास्तव में उनके आभारी हैं। बहुत से लोग नहीं जानते थे कि हम सिखों की रक्षा करना कितना मुश्किल था और हमारे गुरु कैसे थे। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह ने मुगलों से ईंट से ईंट बजाई लेकिन धर्म परिवर्तन नहीं किया। मैं पीएम मोदी का आभार जताता हूं कि उन्होंने अच्छी सोच के साथ इसे जन-जन तक पहुंचाया।

बलिदान और धर्म के प्रति समर्पण की कहानी एक और शख्स ने सुनाई। उनके मुताबिक इसे हर स्कूल में पढ़ाया जाना चाहिए। बच्चों को सीखना चाहिए कि कैसे छोटे बच्चों ने भी अपने धर्म और देश के लिए बलिदान दिया। साथ ही आभार जताते हैं केंद्र सरकार का जिसने इस दिवस को खास पहचान दी।

गुरुद्वारे में मत्था टेकने आए एक व्यक्ति के अनुसार बाल दिवस अब 14 नवंबर को नहीं 26-27 नवंबर को मनाए जाने की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ये जश्न एक महान पहल है और प्रधानमंत्री ने इस संबंध में एक सराहनीय काम किया है। ऐसा करने के लिए हम उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं। 14 नवंबर के बजाय 26-27 दिसंबर को छुट्टी मनाई जानी चाहिए, जिसे वर्तमान में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के बलिदान को देश हमेशा याद रखेगा। मेरा यही कहना है कि हर बच्चे को इसके बारे में जानना चाहिए।

कुछ को लगता है। मानते हैं कि शहादत का सम्मान 8-9 दिनों तक किया जाना चाहिए। कहते हैं, "यह सिर्फ एक दिन की बात नहीं है। यह दिसंबर के पूरे महीने की बात है। 21 दिसंबर से हम अपना शहीदी सप्ताह मनाते हैं, जो लगभग 8-9 दिनों तक चलता है। यही वह समय है जब गुरु गोबिंद सिंह ने जी के चार साहिबजादों (बेटों) ने अपना बलिदान दिया। प्रधानमंत्री मोदी की पहल बहुत अच्छी है, उन्होंने लोगों को इसके बारे में जागरूक किया है क्योंकि पहले बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते थे। यह एक सकारात्मक पहल है।"

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Created On :   25 Dec 2024 4:15 PM IST

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