स्वतंत्रता दिवस 2024: 'बांग्लादेश के मौजूदा हालात इस बात की याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी कीमती है', स्वाधीनता दिवस के अवसर पर बोले चीफ जस्टिस

बांग्लादेश के मौजूदा हालात इस बात की याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी कीमती है, स्वाधीनता दिवस के अवसर पर बोले चीफ जस्टिस
  • देश मना रहा अपना 78वां स्वातंत्रता दिवस
  • चीफ जस्टिस ने स्वतंत्रता को महत्वता पर डाला प्रकाश
  • कोर्ट की मौजूदा प्रोसेस पर की बात

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूरे देश में 78वां स्वातंत्रता दिवस पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है। राजनेता से लेकर मनोरंजन जगत की हस्तियां और आम आदमी तक सभी आजादी की 77वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर राजधानी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बांग्लादेश के मौजूदा हालात इस बात की याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी जरुरी है।

स्वातंत्रता में किसी तरह का दखल नहीं

चीफ जस्टिस ने कहा, 'हमने 1950 में संविधान अपनाया और इसका अनुसरण किया। यही वजह है कि स्वतंत्रता में किसी प्रकार का दखल नहीं है। स्वतंत्रता या आजादी को हल्के में नहीं लिया जा सकता। ये कितनी महत्वूपर्ण है, अतीत की कहानियों से समझा जा सकता है।' इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि आज का दिन हमें संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का स्मरण दिलाता है।

आजादी की लड़ाई में छोड़ दी वकालत

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा, 'आजादी की लड़ाई में देश ने क्या झेला, उस वक्त संविधान और कानून की क्या स्थिति थी, ये सभी जानते हैं। हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों को सलाम करना चाहिए, जिन्होंने आजादी के संघर्ष में शामिल होने के लिए वकालत तक छोड़ दी।'

उन्होंने आगे कहा, 'बाबा साहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, गोविंद वल्लभ पंत, देवी प्रसाद खेतान, सर सैयद मोहम्मद सादुल्लाह जैसे कई महापुरुषों ने खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। ये सभी भारत की आजादी के नायक थे। इन्होंने एक स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना में भी योगदान दिया।'

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कोर्ट की वर्तमान प्रोसेस पर बात करते हुए कहा, 'पिछले 24 सालों में एक जस्टिस के रूप में मैं अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूं कि कोर्ट का काम उतना ही संघर्ष भरा है जितनी एक आम आदमी की जिंदगी।'

'कोर्ट में सभी धर्म, जाति, लिंग, गांव और शहरों के लोग आते हैं। इन सभी को चुनिंदा संसाधनों में और दायरे में रहकर न्याय दिलाना होता है। यह उतना आसान काम नहीं है।'

Created On :   15 Aug 2024 1:28 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story