भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता: उत्तरकाशी में लगी धारा 163, जानिए धारा 144 से है कितनी अलग, इस धारा के तहत भी लोगों के जमा होने पर मिलेगी सजा

उत्तरकाशी में लगी धारा 163, जानिए धारा 144 से है कितनी अलग, इस धारा के तहत भी लोगों के जमा होने पर मिलेगी सजा
  • उत्तरकाशी में मस्जिद को गिरानी की मांग जारी
  • धारा 163 हुई लागू
  • जानें धारा 163 और 144 के बीच का अंतर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक पुरानी मस्जिद को गिराने की मांग के चलते महौल में तनाव जारी है। गुरुवार (25 अक्टूबर) को संयुक्त सनातन धर्म रक्षक दल द्वारा आयोजित की गई एक रैली के दौरान हिंसा भड़क गई। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 लागू कर दी है। जिससे 5 या 5 से ज्यादा लोगों के एक साथ इकट्ठा होने पर रोक लगा गई है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 को पहले आईपीसी की धारा 144 के नाम से जाना जाता था।

यह भी पढ़े -उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रैली के दौरान भड़की हिंसा, पुलिस ने किया लाठीचार्ज, धारा 163 लागू

धारा 163 ने ली सेक्शन 144 की जगह

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को 11 अगस्त 2023 को पेश किया गया था। जिसने इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह ली। बीएनएसएस की धारा 163 के तहत पांच या उससे ज्यादा लोगों को एक जगह एकत्रित होने से रोका जाता है ताकि हिंसा या उपद्रव से बचा जा सके। इस धारा का उद्देश जनता की सुरक्षा है। अगर मजिस्ट्रेट या अन्य सक्षम मजिस्ट्रेट को लगता है कि कोई दंगा भड़क सकता है तो वह धारा 163 लागू करने के आदेश दे सकते हैं। धारा 163 दो महीने तक लागू की जा सकती है। हालांकि, राज्य सरकार इसे 6 महीने तक बढ़ा सकती है। बता दें, जिला मजिस्ट्रेट और अन्य अधिकृत कार्यकारी मजिस्ट्रेट इस धारा के तहत एक्शन ले सकते हैं। इसे देखकर यह समझा जा सकता है कि धारा 163 भी धारा 144 के समान ही है।

आदेश उल्लंघन करने वाले पर कार्रवाई

धारा 163 इमरजेंसी सिचुएशन में लागू की जाती है। अगर कोई जुलूस या कार्यक्रम का आयोजन करना हो तो उसके लिए प्रशासन की अनुमति की जरूरत होती है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो प्रशासन के पास पूरा अधिकार है कि उसके खिलाफ सख्त कदम उठा सके।

Created On :   25 Oct 2024 1:00 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story