उद्धव के सीएम बनते ही शिवसेना के बदले तेवर, पीएम मोदी को बताया ठाकरे का बड़ा भाई

Shivsena newspaper saamana editorial calls prime minister narendra modi a elder brother of uddhav thackeray
उद्धव के सीएम बनते ही शिवसेना के बदले तेवर, पीएम मोदी को बताया ठाकरे का बड़ा भाई
उद्धव के सीएम बनते ही शिवसेना के बदले तेवर, पीएम मोदी को बताया ठाकरे का बड़ा भाई

डिजिटल डेस्क,मुंबई। महाराष्ट्र को आखिरकार अपना मुख्यमंत्री मिल गया। गुरुवार को उद्धव ठाकरे ने सीएम के तौर पर शपथ ग्रहण की। वह राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। वहीं शिवसेना ने अपने मुखपत्र "सामना" के संपादकीय में एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधा है। वहीं सामना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उद्धव ठाकरे का बड़ा भाई बताया है। सामना में लिखा है कि हमारी सरकार आ गई, यह सरकार इसी भावना से जन्मी है। महाराष्ट्र की राजनीति सिर्फ सत्तानीति नहीं होती बल्कि एक आंदोलन होता है, नई सरकार के बारे में यही कहना होगा। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार सत्य और न्याय की सारी कसौटियों पर खरी उतरकर स्थिर रहेगी। 

सामना में लिखा है, "पांच साल में राज्य पर पांच लाख करोड़ का कर्ज लादकर फडणवीस सरकार चली गई। इसलिए नए मुख्यमंत्री ने जो संकल्प लिया है, उसपर तेजी से लेकिन सावधानीपूर्वक कदम रखना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने नई सरकार और मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं दी हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र का विकास तीव्र गति से होगा। महाराष्ट्र के किसानों को दुख की खाई से बाहर निकालने के लिए केंद्र को ही सहयोग का हाथ आगे बढ़ाना होगा।" 

सामना में पीएम मोदी और उद्धव ठाकरे को भाई बताया है। लिखा है कि राज्य की राजनीति मे भाजपा-शिवसेना में अनबन है लेकिन नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है। इसलिए महाराष्ट्र के छोटे भाई को प्रधानमंत्री के रूप में साथ देने की जिम्मेदारी श्री मोदी की है। पीएम पूरे देश के होते हैं, सिर्फ एक पार्टी के नहीं होते। इसे स्वीकार करें तो जो हमारे विचारों के नहीं हैं, उनके लिए सरकार अपने मन में राग-लोभ क्यों रखे? महाराष्ट्र की जनता के जो निर्णय दिया है, दिल्ली उसका सम्मान करे और सरकार की स्थिरता न डगमगाए इसका ख्याल रखे। 

सामना ने आगे लिखा है, "महाराष्ट्र मतलब जीता-जागता पुरुषार्थ है। यह पुरुषार्थ छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरण से यहां की माटी के कण-कण में दिखता रहता है। शिवराय ने शून्य से स्वराज्य का निर्माण किया। स्वराज्य स्थापना के बीच में उन्होंने किसी को नहीं आने दिया। अपना कोई करीबी अगर जरा-सा भी टेढ़ा हुआ तो परवाह न करते हुए दुर्गुणों को उन्होंने तुरंत कुचल दिया। महाराष्ट्र के गठन हेतु मराठी जनता दिल्ली से भिड़ी। संघर्ष और लड़ाई हमारे जीवन का हिस्सा हैं। दिल्ली देश की राजधानी भले ही है लेकिन महाराष्ट्र दिल्लीश्वरों का गुलाम नहीं और यह तेवर दिखानेवाले बालासाहेब ठाकरे के सुपुत्र आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं।"

सामना में लिखा है कि महाराष्ट्र दिल्ली को सबसे ज्यादा पैसा देता है। देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है। देश को सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई जैसा शहर देता है। देश की सीमा की रक्षा तो महाराष्ट्र की परंपरा रही है। दिल्ली के दरबार में महाराष्ट्र चौथी-पांचवीं कतार में नहीं खड़ा रहेगा बल्कि आगे रहकर ही काम करेगा, परंपरा यही रही है। इसी परंपरा का भगवा ध्वज महाराष्ट्र के विधानसभा और मंत्रालय पर लहराया है। भगवा ध्वज से दुश्मनी मोल मत लो, दुश्मनी करोगे तो खुद का ही नुकसान करोगे। 

Created On :   29 Nov 2019 3:02 AM GMT

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