निर्भया केस: 16 दिसंबर 2012 को हुई थी हैवानियत की सारी हदें पार, जानें क्या हुआ था उस रात
- दरिंदों ने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में डाल दी थी रॉड
- निर्भया की हालत देख डॉक्टर्स थे हैरान
- बस से निर्भया को कुचलना चाहते थे दोषी
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। निर्भया के दोषियों को आखिरकार 7 साल 3 महीने और 3 दिन के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आज (20 मार्च, 2020) को फांसी दे दी गई। देश में दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में 15 साल बाद फांसी की सजा दी गई है। 2004 में कोलकाता में दुष्कर्म के दोषी को फांसी दी गई थी। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार देश में यूं तो हर घंटे तीन महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आते हैं, लेकिन 6 दिसंबर 2012 की रात निर्भया के साथ हुई इस घटना ने पूरी दुनिया को झकझोरकर रख दिया था।
उस रात निर्भया ने जिस दर्द को सहा उसे सोचने मात्र से रूह कांप जाती है। 6 दरिंदों ने मिलकर हैवानियत की जो हदें पार की थी, उससे तो एक बार हैवान की भी रुह कांप जाए। दिल्ली के चेहरे पर एक बदनुमा दाग की तरह ठहरी हुई ये वारदात आज भी उतनी ही दिल दहला देने वाली है, जितनी 7 साल पहले थी। उस रात एक चलती बस में 5 बालिग और एक नाबालिग ने जिस तरह से निर्भया के साथ हैवानियत का खेल खेला वे बेहद ही शर्मनाक और मानवता को शर्मसार कर देने वाला था। आइए जानते हैं क्या हुआ था उस रात...
16 दिसंबर 2012 को क्या हुआ था?
केस को 7 साल से ज्यादा बीत चुके हैं और दोषी मुकेश, विनय, अक्षय और पवन की फांसी का इंतजार खत्म होने को है। 6 दिसंबर का वो दिन था जब दिल्ली के मुनिरका में निर्भया के साथ दरिंदगी हुई थी। उस दिन पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया अपने एक दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में "लाइफ ऑफ पाई" मूवी देखने गई थी। इसके बाद घर के लिए उन्होंने ऑटो लिया, लेकिन दोनों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि बुरा लम्हा उनका इंतजार कर रहा है। 16 दिसंबर की उस रात को काफी ठंड थी, जब निर्भया और उनके दोस्त ऑटो में सवार थे। उस समय रात के करीब 8 बज रहे थे। निर्भया और उनके दोस्त ने घर के लिए डायरेक्ट ऑटो से जाने का फैसला किया था, लेकिन दूरी के चलते ऑटो वाले ने मना कर दिया।
जिसके बाद उन्होंने ऑटो वाले से मुनिरका तक छोड़ने को कहा, क्योंकि रात काफी हो चुकी थी। दोनों मुनिरका के बस स्टैंड उतरे। उस समय रात के करीब 8:30 बज रहे थे। जब वो दोनों बस स्टैंड पर उतरे थे तो एक सफेद रंग की बस पहले से वहां खड़ी थी। जिसमें एक लड़का बार-बार कह रहा था चलो कहां जाना है। एक छोटा लड़का पालम मोड और द्वारका के लिए आवाज लगा रहा था। ऐसे में एक लड़का बार-बार निर्भया को बोल रहा था कि "दीदी चलो, कहां जाना है, हम छोड़ देंगे"। जिसके बाद वो दोनों बस में बैठ गए।
हालांकि, किसी ने सोचा नहीं था कि उस रात बस की सवारी निर्भया के जीवन की आखिरी सवारी होगी। जब बस थोड़ी देर आगे चली तो निर्भया के दोस्त को कुछ शक हुआ। जैसे ही बस थोड़ी और आगे चली तो दोषियों ने बस का गेट बंद कर दिया और 3 लोग सीट पर आकर दोस्त को पीटने लगे। जिसके बाद निर्भया ने फोन ट्राई किया, लेकिन दोषियों ने फोन छीन लिया।
दोषियों ने मारने के लिए तीन रॉड का इस्तेमाल किया था। कोई सिर पर मार रहा था, कोई पीठ पर तो कोई हाथों पर। जिसके बाद दोषी निर्भया को घसीटते हुए पीछे ले गए। जहां उसके साथ हैवानियत की वो हदें पार की जिसकी बड़ी से बड़ी सजा कम होगी।
हैवानियत के दौरान दोषी आपस में बातचीत करते हुए कह रहे थे कि "मर गई है लड़की अब इन्हें फेंक देते हैं"। उनकी मंशा थी कि वो निर्भया और उनके दोस्त पर बस चढ़ा दें, ताकि किसी को पता न चले कि आखिर 16 दिसंबर की रात क्या हुआ था।
दोषियों ने दोस्त और निर्भया को झाड़ में फेंक दिया. जिसके बाद उनपर बस चढ़ाने की कोशिश भी की, लेकिन दोस्त ने निर्भया को दूसरी ओर मोड़ लिया। निर्भया के दोस्त की मानें तो जिस रोड पर उन्हें फेंका गया था वहां लगातार गाड़ियां, ऑटो वाले आ जा रहे थे। दोस्त हाथ हिलाकर मदद मांगने की कोशिश कर रहा था। जिसके बाद कुछ गाड़ियां आई भीं, लेकिन वो गाड़ी का शीशा नीचे करते थे, उन्हें देखते और चले जाते थे। ऐसे में एक बाइक वाले ने उन्हें देखा और उसने सबसे पहले अपने ऑफिस में कॉल किया। जिसके बाद पुलिस और गाड़ी आई और उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया।
निर्भया की हालत देख डॉक्टर्स थे हैरान
उस रात निर्भया को जब अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टर्स को समझ में नहीं आ रहा था कि वो कहां सर्जरी करें, क्योंकि पूरा शरीर खून से लतपथ था डॉक्टर्स की मानें तो हमारे शरीर में 12 फिट का आंत होता है, लेकिन निर्भया के शरीर में 1 फिट का भी आंत नहीं बचा था। दरअसल, दरिंदों ने निर्भया के साथ सिर्फ दुष्कर्म को अंजाम नहीं दिया था, उन्होंने सबूत मिटाने के लिए निर्भया के प्राइवेट पार्ट में जंग लगी लोहे की रॉड डाल दी थी। इस हैवानियत की वजह से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं थी।
दोषियों की गिरफ्तारी
घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि आरोपी बस ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है जिसका नाम राम सिंह बताया गया। बाद में पुलिस ने जानकारी दी कि इस मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस सभी आरोपियों से लगातार पूछताछ कर रही थी। पूरे देश में घटना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे। लोग सड़कों पर उतर आए थे और पूरे देश की निगाहें केवल दिल्ली पुलिस की जांच और कार्रवाई पर लगी हुई थी
लेकिन, इन सबके बीच जो जुझ रही थी वो थी निर्भया। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मिर्भया का इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार न होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया। वहां अस्पताल में इलाज के दौरान वह जीवन की जंग हार गई। 29 दिसंबर को रात के करीब सवा 10 बजे निर्भया ने दम तोड़ दिया। निर्भया की दर्दनाक मौत के बाद पूरा देश हिल गया था। देश भर में दोषियों के फांसी की मांग की जा रही थी, लेकिन दोषी कानूनी दांव पेच लगाकर हर बार बच जाते थे। 7 साल 3 महीने और 3 दिन बाद 20 मार्च को दोषियों को फांसी तो मिल गई, लेकिन क्या इससे निर्भया के उस दर्द को कम किया जा सकता है जो उसने 16 दिसंबर की रात को सहा था। क्या इस फांसी से निर्भया की मां के वो आंसू सूख जाएंगे जो उन्होंने इंसाफ की गुहार लगाते हुए इस सात सालों में बहाए हैं और क्या इस फांसी से हैवानियत रुक जाएगी। कई सवाल हैं जिनका जवाब किसी के पास नहीं, लेकिन खुशी है कि सात साल बाद ही सही पर इंसाफ तो मिला।
Created On :   19 March 2020 6:59 PM IST