यौन उत्पीड़न: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में बृजेश ठाकुर सहित 19 दोषी करार, 28 को सजा पर फैसला
- पीड़िताओं ने नशीली दवाएं देने
- मारपीट और यौन शोषण के आरोप लगाए थे
- मेडिकल टेस्ट में तकरीबन 34 बच्चियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी
- मोहम्मद साहिल उर्फ विक्की को सबूतों के अभाव में बरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर सहित 19 लोगों को दोषी करार दिया है। वहीं कोर्ट ने एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया। कोर्ट 28 जनवरी को दोषियों को सजा सुनाएगा। अदालत ने बृजेश ठाकुर सहित सभी आरोपियों को पोक्सो एक्ट के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न और सामूहिक दुष्कर्म का दोषी पाया। बता दें कि साल 2018 में ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 20 लोगों पर बिहार के मुजफ्फरपुर बालिकागृह की नाबालिग लड़कियों और युवतियों के यौन शोषण के आरोप लगे थे।
Bihar"s Muzaffarpur shelter home case: The court has listed the matter for argument on quantum of sentence on January 28 https://t.co/pVbhtj1vu6
— ANI (@ANI) January 20, 2020
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ की अदालत ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 19 लोगों को 1045 पन्नों के अपने आदेश में दोषी ठहराया है। इसके अलावा अदालत ने एक अन्य आरोपी मोहम्मद साहिल उर्फ विक्की को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। ब्रजेश ठाकुर के अलावा कोर्ट ने इंदू कुमारी (बालिकागृह अधीक्षक), मीनू देवी (बालिकागृह में गृह माता), मंजू देवी (काउंसलर), चंदा देवी (बालिकागृह में गृह माता), नेहा कुमारी (नर्स), हेमा मसीह (केस वर्कर), किरण कुमारी (सहायक), रवि कुमार, विकास कुमार (सीडब्लूसी का सदस्य), दिलीप कुमार (सीडब्लूसी का अध्यक्ष), विजय तिवारी (चालक), गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, रोजी रानी, रामानुज ठाकुर उर्फ मामू, रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर, डॉक्टर अश्विनी, नरेश प्रसाद और साइस्ता परवीन उर्फ मधु को दोषी करार दिया।
ब्रजेश ठाकुर चला रहा था बालिका गृह
बता दें कि मामले में सीबीआई ने जांच के बाद मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को बनाया था। सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल की गई अपनी चार्जशीट में बताया कि जिस शेल्टर होम में बच्चियों के साथ दुष्कर्म होता रहा उसको ब्रजेश ठाकुर ही चला रहा था। ब्रजेश ठाकुर को बिहार सरकार का बेहद करीबी माना जाता है। इसी कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की सुनवाई दिल्ली की साकेत जिला अदालत में की गई।
शेल्टर होम में 34 छात्राओं का यौन उत्पीड़न हुआ था
गौरतलब है कि 26 मई 2018 को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल साइंसेज की ओर से बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी। इस रिपोर्ट में पहली बार बालिकागृह में नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की बात सामने आई थी। इसके बाद यहां रहने वाली 42 लड़कियों को मेडिकल टेस्ट कराया गया, जिसमें 34 लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई थी। केस की सुनवाई के दौरान पीड़िताओं ने यह खुलासा भी किया था कि उन्हें नशीली दवाएं दी जाती थीं और उनके साथ मारपीट करने के साथ ही यौन शोषण भी किया जाता था।
सामाजिक कल्याण विभाग के अफसर भी थे शामिल
केस में सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में कर्मचारी भी शामिल थे। वे भी मासूम बच्चियों को दरिंदगी का शिकार बना रहे थे। यह भी आरोप है कि बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी बच्चियों के साथ गलत काम में संलिप्त थे।
Created On :   20 Jan 2020 10:20 AM GMT