मध्य प्रदेश में बड़ा उल्टफेर, भोपाल हारे राजा तो गुना महाराजा को मिली शिकस्त
डिजिटल डेस्क, भोपाल। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के अंदर बड़ा उल्टफेर देखने को मिला है। मोदी नाम की सुनामी राजा-महाराजाओं के किले ढह गए। भोपाल से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ मैदान में उतरे राघोगढ़ सियासत के राजा दिग्विजय सिंह 3 लाख 64 हजार 822 वोटों से चुनाव हारे गए हैं। वहीं ग्वालियर रियासत के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपना किला नहीं बचा पाए। उन्हें बीजेपी के केपी यादव ने 1 लाख 25 हजार 549 मतों से हराया
अपने दोस्त से हारे सिंधिया
गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराने वाला कोई ओर नहीं उनका पुराना दोस्त है। केपी यादव पहले कांग्रेस में थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले केपी यादव ने बीजेपी का दामन थाम लिया। गुना शिवपुरी में यादव वोटरों की अच्छी संख्या है। इसका सीधा फायदा केपी यादव को मिला। ज्योतिरादित्य सिंधिया राजपरिवार के पहले सदस्य है जिन्हें चुनाव में हार मिली है। सिंधिया 2002 से लगातार चुनाव जीत रहे थे।
प्रज्ञा से हारे दिग्विजय
भोपाल लोकसभा सीट से ने जब प्रज्ञा ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया तो किसी को इतनी उम्मीद नहीं थी कि वह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को इतनी करारी शिरकत देंगी। अपनों बयानों को कारण प्रज्ञा ठाकुर काफी चर्चा में रहीं। शहीद हेमंत करकरे को श्राप देने वाले बयान हो या नाथूराम गोडसे को महान बताने वाला । इस सबके बावजूद भोपाल की जनता ने साध्वी प्रज्ञा के बयानों को दरकिनार कर खुलकर वोट किया।
भोपाल में हिंदुत्व कार्ड रहा भारी
10 साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को कंप्यूटर बाबा का भी समर्थन मिला। कई साधू-संतों ने दिग्विजय सिंह के लिए हवन भी किया। इसके बावजूद साध्वी, दिग्गी राजा पर भारी पड़ी। भोपाल में दिग्विजय सिंह का हार का बड़ा कारण यहां मतों का ध्रुवीकरण होना रहा। प्रज्ञा ठाकुर के पक्ष में खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने रोड-शो कर माहौल बनाया। दिग्विजय ने भोपाल के विकास के लिए विजन डॉक्यूमेंट जारी किया, लेकिन वह साध्वी के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के सामने टिक नहीं पाया।
Created On :   23 May 2019 11:52 AM GMT