ड्रोन से घर-घर पहुंचेंगी दवाएं, भारत के पहला मेडिकल ड्रोन डिलीवरी ट्रायल 18 जून से
- DGCA ने मार्च 2020 की शुरुआत में ऑब्जेक्ट डिलीवरी एक्सपेरिमेंट के लिए मंजूरी दी थी
- भारत का पहला BVLOS मेडिकल ड्रोन डिलीवरी एक्सपेरिमेंट
- मेडिकल ड्रोन डिलीवरी एक्सपेरिमेंट इस सप्ताह शुरू होने वाला है
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। भारत का पहला ऑफिशियल बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट (BVLOS) मेडिकल ड्रोन डिलीवरी एक्सपेरिमेंट इस सप्ताह शुरू होने वाला है। बेंगलुरु से लगभग 80 किमी दूर गौरीबिदानूर में में ये एक्सपेरिमेंट शुरू होगा। बेंगलुरु के थ्रॉटल एयरोस्पेस सिस्टम्स (TAS) के नेतृत्व वाली फर्मों के संघ को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने मार्च 2020 की शुरुआत में ऑब्जेक्ट डिलीवरी एक्सपेरिमेंट के लिए मंजूरी दी थी। हालांकि महामारी की वजह से एंजेंसी की कुछ अन्य अनुमतियां मिलने में देरी हुई।
अब सभी मंजूरी हासिल करने के बाद, फर्म 18 जून से ट्रायल शुरू करेगी। पहला सेट का ये ट्रायल 30-45 दिनों तक चलेगा। प्रसिद्ध कार्डियक सर्जन डॉ देवी शेट्टी ने इन ट्रायल्स का समर्थन किया है और नारायण हेल्थ कंसोर्टियम के साथ साझेदारी करेगा। नारायण हेल्थ ट्रायल के लिए दवाएं प्रदान करेगा। टेस्टिंग के दौरान इन दवाओं को ट्रांसपोर्ट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
TAS के सीईओ नागेंद्रन कंडासामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया: "दो अन्य कन्सोर्टियम को भी बियॉन्ड विजुअल लाइन ऑफ साइट एक्सपेरिमेंट की मंजूरी मिली है, लेकिन हमारा पहला कानूनी/आधिकारिक मेडिकल ड्रोन डिलीवरी एक्सपेरिमेंट है। कंडासामी ने कहा, हम 2016 के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। लंबे इंतजार के बाद, अब हमें बीवीएलओएस एक्सपेरिमेंट मॉनिटरिंग कमेटी (बीईएमसी) से आधिकारिक मंजूरी मिल गई है और हम जल्द ही भारत में कमर्शियल ड्रोन डिलीवरी का लाभ उठाने की उम्मीद करते हैं।
टीएएस के अलावा, कंसोर्टियम में इनवोली-स्विस है, जो प्रोफेशनल ड्रोन एप्लीकेशन के लिए एयर ट्राफिक अवेयरनेस सिस्टम्स में माहिर है। ये मानव रहित यातायात प्रबंधन (यूटीएम) सिस्टम प्रदान कर रहा है। वहीं हनीवेल एयरोस्पेस एक सेफ्टी एक्सपर्ट के रूप में है इसमें शामिल है। एक्सपेरिमेंट के दौरान कंसोर्टियम अपने ड्रोन के दो वेरिएंट- मेडकॉप्टर और टीएएस के ऑन-डिमांड डिलीवरी सॉफ्टवेयर रैंडिंट का उपयोग करेगा।
कंडासामी ने कहा मेडकॉप्टर का स्मॉल वेरिएंट 15 किलोमीटर तक 1 किलो ले जा सकता है, जबकि दूसरा 2 किलो 12 किलोमीटर तक ले जा सकता है। उन्होंने कहा, 30-45 दिनों के ट्रायल के दौरान रेंज और सुरक्षा दोनों के लिए टेस्टिंग होगी। DGCA के अनुसार कम से कम 100 घंटे उड़ान भरनी होगी। कंडासामी ने कहा, हमारा लक्ष्य करीब 125 घंटे उड़ान भरने का है। ट्रायल के अंत में लॉग की समीक्षा की जाएगी और अधिकारियों को प्रस्तुत किया जाएगा।
नारायण हेल्थ के साथ पार्टनरशिप को लेकर कंडासामी ने कहा, ड्रोन का उपयोग करके किस प्रकार की दवाएं ले जाई सकती है। क्या चुनौतियां हो सकती हैं और भविष्य में इसका नियमित रूप से उपयोग किया जा सकता है या नहीं। इस चेन को समझने के लिए ये पार्टनरशिप हुई है। कंडासामी ने कहा, नारायन जो भी डिमांड रेज करना हमारा सॉफ्टवेयर उसे रिसीव करेगा। किसी को पता नहीं चलेगा कि प्राप्तकर्ता कौन है, लेकिन डिलीवरी पहले से लोड किए गए पते पर की जाएगी।
कंडासामी ने कहा नारायण के अलावा, बी2बी ई-कॉमर्स स्टार्टअप उड़ान ने भी कमर्शियल फ्रंट पर कुछ जानकारी के लिए कंसोर्टियम से संपर्क किया है। उन्होंने कहा, वे प्रति किलोमीटर लागत और ऑब्जेक्ट डिलीवरी के ऐसे अन्य कमर्शियल एस्पेक्ट को जानने में रुचि रखते हैं।
Created On :   13 Jun 2021 1:22 PM GMT