Coronavirus Superstitions: 'कोरोना देवी' की पूजा और हाथ चूमने से लेकर 5G तक, इस तरह फैलाया जा रहा कोविड-19 को लेकर अंधविश्वास
![Baba who treated Coronavirus by kissing peoples hands dies of Covid Baba who treated Coronavirus by kissing peoples hands dies of Covid](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2020/06/baba-who-treated-coronavirus-by-kissing-peoples-hands-dies-of-covid_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूरी दुनिया अभी कोरोनोवायरस महामारी से लड़ रही है। जहां सरकारें बीमारी को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, वहीं दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका इलाज खोजने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके बावजूद भी कुछ लोग अंधविश्वास का शिकार बन रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के रतलाम से। यहां असलम बाबा नाम का एक शख्स हाथ चूमकर बीमारों को ठीक करने का दावा करता था, लेकिन 4 जून को इस बाबा की कोरोनावायरस से मौत हो गई। अब इस बाबा के संपर्क में आए 24 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इससे पहले बिहार में भी कोरोनावायरस को लेकर अंधविश्वास का मामला सामने आया था जहां महिलाएं "कोरोना देवी" की पूजा करते दिखाई दी थी। ऐसे में आज हम आपको बताने जे रहे हैं उन अंधिविश्वासों के बारे में जो कोरोनावायरस को लेकर फैलाया जा रहे हैं।
हाथों को चूमकर कोरनावायस का इलाज
असलम बाबा का असली नाम अनवर शाह है। रतलाम के नयापुरा इलाके में असलम अपने परिवार के साथ करीब 15 वर्षों से रह रहा था। स्थानीय लोग बताते हैं कि बाबा पानी में फूंक मार कर भक्तों को पिलाता था और हाथों को भी चूमता था। बाबा हर रोग का इलाज करने का दावा करता था। अंधविश्वास के चक्कर में कई लोग अनवर शाह के पास अपना इलाज करवाने आते थे। अनवर शाह की 4 जून को कोरोनावायरस संक्रमण से मौत हो गई। इस खबर के सामने आने के बाद जिले के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने बाबा के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के लिए तलाश शुरू की। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में 24 केस पॉजिटिव निकले। इसमें 13 पुरुष और 11 महिलाएं हैं। 17 केस रतलाम के और 7 केस जावरा के हैं। असलम बाबा की कोरोना से मौत के बाद प्रशासन ने एहतियात के तौर पर 29 और बाबाओं को क्वारंटीन कर दिया है।
कई प्रदेशों में ‘कोरोना देवी’ की पूजा
उधर, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम के कई इलाकों में लोग ‘कोरोना देवी’ की पूजा कर रहें है। सोशल मीडिया पर इसके वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं। औरतें पूजा करते हुए कोरोना देवी के लिए गीत भी गाती हैं। गोपालगंज के एक वीडियो में फुलवरिया घाट पर महिलाओं ने सात गड्ढों को खोदा और उनमें लौंग, इलायची, फूल और सात "लड्डू" के साथ गुड़ की चाशनी डाली और महामारी से छुटकारा पाने के लिए "कोरोना देवी" की पूजा की। इतना ही नहीं महिलाएं कोरोना देवी का व्रत भी रख रहे हैं। हाल ही में झारखंड के पलामू जिले का एक मामला सामने आया था जहां ‘कोरोना देवी’ के लिए व्रत रखने से एक महिला की मृत्यु हो गई। वहीं 10 जून को झारखंड के कोडरमा जिले में कोरोना खत्म करने के लिए 400 बकरों की बलि दी गई।
तलवार और शरीर पर लाल साड़ी पहनकर कोरोना का इलाज
उत्तर प्रदेश के देवरिया में लॉकडाउन के दौरान कुछ दिन पहले एक मामला सामने आया था जिसमें एक महिला दावा कर रही थी कि वह झाड़ फूंक से कोरोनावायरस का इलाज कर सकती है। हाथ में तलवार और शरीर पर लाल साड़ी पहने वह खुद को मा जगदंबा का मानव रूप में अवतार बताती थी। अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर काफी लोग उस महिला के पास पहुंच रहे थे। एक दिन जब पुलिस को भीड़ के जमा होने की खबर मिली तो एसडीएम दल-बल के साथ मौके पर पहुंच गए। लोगों को लाउड स्पीकर से चेतावनी दी गई कि लोग एक जगह इकट्ठा न हो, लेकिन पुलिस की चेतावनी का इन पर कोई असर नहीं हुआ। भीड़ और पुलिस के बीच कोरोना देवी तलवार लेकर खड़ी हो गई। पुलिस को इसके बाद लाठी चार्ज करना पड़ा और कोरोना देवी को हवालात ले जाया गया।
झाबुआ में गर्म सलाखें दागकर इलाज
मध्य प्रदेश के अदिवासी जिले झाबुआ में पिछले महीने दिल को झकझोर देने वाला एक मामला सामने आया था। पंजाब केसरी की एक खबर के मुताबिक अनपढ़ माता-पिता अपने तीन महीने के बच्चे को सर्दी जुकाम होने पर तांत्रिक के पास ले गए। तांत्रिक ने इलाज के नाम पर मासूम बच्चे के पेट पर पंद्रह बार गर्म सलाखें दागी। जब बच्चे की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो वह उसे लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे। इस तरह का ये इकलौता मामला नहीं है, यहां आदिवासी परिवार में जब भी कोई बीमार पड़ता है तो ये उसे डॉक्टर के पास ले जाने के बजाए झाड़-फूंक करने वाले बाबाओं के पास ले जाते हैं। ऐसे में कई लोगों की जान भी जा चुकी है।
5-जी तकनीक से कोरोनावायरस का संक्रमण
बीते दिनों सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो शेयर किए गए थे जिनमें 5-जी तकनीक की वजह से कोरोनावायस का संक्रमण होने का दावा किया जा रहा था। बर्मिंघम और मेर्सेसाइड में इन दावों के चलते मोबाइल टॉवर को भी जलाया गया था। सोशल मीडिया पर इसे लेकर दो तरह की थ्योरी बताई जा रही थी। पहला थ्योरी वह जिसमें दावा किया जा रहा था कि 5-जी से इंसानों की प्रतिरोधी क्षमता कम होती है, जिसके चलते लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं दूसरे कैंप में वे लोग थे जो दावा कर रहे थे कि 5-जी तकनीक की मदद से वायरस को फैलाया जा रहा है, किसी तरह ट्रांसमिट किया जा रहा है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 और 5-जी तकनीक के बीच संबंधों की बात पूर्ण बकवास है और यह जैविक रूप से संभव नहीं है।
Created On :   12 Jun 2020 4:13 PM IST