भारतीय इतिहास के 10 सबसे बड़े शिक्षक 

10 greatest teachers of Indian history
भारतीय इतिहास के 10 सबसे बड़े शिक्षक 
टीचर्स डे स्पेशल भारतीय इतिहास के 10 सबसे बड़े शिक्षक 
हाईलाइट
  • डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक के साथ दार्शनिक भी थे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्राचनीकाल से ही हमारे देश में गुरुओं को भगवान का रुप माना जाता है और उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है। सदियों से देश में महान गुरु महर्षि वेद व्यास की जयंती पर पूरे देश में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। लेकिन आज के आधुनिक जमाने में भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। आइए हम देश के 10 ऐसे महान शिक्षकों के बारे में बात करते हैं, जिन्होंने न केवल देश बल्कि दुनिया में भी अपना परचम लहराया है। 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान शिक्षक और दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुसनी में 5 सितंबर साल 1888 में हुआ। उन्होंने मैसूर, कलकत्ता, हार्वर्ड, हैरिस मैनचेस्टर और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों जैसे कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया था। 17 अप्रैल सन् 1975 को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मौत हो गई। 

प्रफुल चंद्र राय

विश्व प्रसिद्ध रसायनशास्त्री और शिक्षक प्रफुल चंद्र राय का जन्म 2 अगस्त 1861 को ररौली गांव, (बांग्लादेश) में हुआ था। प्रफुल चंद्र राय ने भारत में पहली फार्मास्यूटिकल कंपनी, बंगाल रसायन एवं फार्मास्यूटिकल्स की स्थापना की थी। उन्होंने रसायन एवं फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में अविश्वशनीय योगदान दिया। 16 जून 1944 को कलकत्ता में उनकी मृत्यु हो गई।

श्रीनिवास रामानुजन्

महान गणितज्ञ और शिक्षक श्रीनिवास रामानुजन् का जन्म चेन्नई के इरोड गांव में 22 दिसम्बर साल 1887 को हुआ था। महज 43 वर्ष के अपने जीवन काल में श्रीनिवास रामानुजन् ने गणित के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया। वह एक महान भारतीय गणितज्ञ थे, उनकी गिनती आधुनिक युग के महानत गणितज्ञो में होती है। अश्चर्य की बात यह हैं कि रामानुजन् ने गणित के क्षेत्र में कोई प्रशिक्षण नही लिया था। लेकिन फिर भी उन्होंने विश्लेषण और संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 26 अप्रैन 1920 को चेन्नई में रामानुजन् की मृत्यु हो गई। 

चन्द्रशेखर वेंकटरमन

भारतीय भौतिक-शास्त्री चन्द्रशेखर वेंकटरमन का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में 7 नवंबर 1888 को हुआ। चन्द्रशेखर वेंकटरमन भौतिकी के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया। उनके प्रकाश प्रकीर्णन अविष्कार रमन प्रभाव के लिए उन्हें साल 1930 में नोबेल पुरस्कार ने नवाजा गया था। 21 नवम्बर साल 1970 को बेंगलुरु में उनका निधन हो गया। 

जगदीश चन्द्र बसु

भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पति विज्ञान और पुरातत्व के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले जगदीश चन्द्र बसु का जन्म 30 नवंबर सन् 1858 को मेमनसिंह गांव बंगाल में हुआ था। जगदीश चन्द्र बसु रेडियो और सूक्ष्म तरंगों के क्षेत्र में काम करने वाले पहले वैज्ञानिक थे। उन्हीं की वजह से मार्कोनी ने रेडियो का अविष्कार किया। 

सत्येन्द्रनाथ बोस

भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री सत्येन्द्रनाथ बोस का जन्म 1 जनवरी सन् 1894 को कलकत्ता में हुआ। उन्होंने भौतिकी के क्षेत्र में कई खोज किए। भौतिक शास्त्र में दो अणु माने जाने वाले बोसान और फर्मियान में बोसान का नाम सत्येन्द्रनाथ बोस के नाम पर रखा गया हैं। सत्येन्द्रनाथ बोस की मृत्यु 4 फरवरी सन् 1974 को हुई। 

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

मिसाइल मैन के नाम से मशहूर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर सन् 1931 को रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया, उनकी हमेशा से यह चाह थी कि उनको एक अच्छे शिक्षक के रुप में यद किया जाए। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की मौत 27 जुलाई 2015 को आईआईएस शिलॉन्ग में हुआ। उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रुप में मानाया जाता है।

पांडुरंग सदाशिव सने

महाराष्ट्र के लोकप्रिय शिक्षक सने गुरुजी ना सिर्फ एक अध्यापक थे बल्कि वह एक स्वंत्रता सेनानी भी थे। उन्होने अपने विद्यार्थियों को अच्छा संस्कार दिया, साथ ही उन्होंने विद्यार्थी नाम से एक पत्रिका भी शुरु की। यह पत्रिका उस समय खूब लोकप्रिय थी। 

ओशो रजनीश

11 दिसम्बर सन् 1931को मध्यप्रदेश के कुचवाड़ा में जन्में ओशो रजनीश ने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया और अपनी एक अलग शिक्षा पद्धति को विकसित किया। उन्होंने जीवन भर लोगों को शिक्षा दिया। ओशो रजनीश ने अपनी शिक्षा जबलपुर में पूरी की और बाद में जबलपुर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के रुप में काम किया। 19 जनवरी सन् 1990 को उनकी मृत्यु हो गई। 

जे. कृष्णमूर्ति

दार्शनिक और प्रोफेसर के रुप में लोकप्रिय कृष्णमूर्ति का जन्म 1895 में मदनापाली आंध्रप्रदेश में एक ब्राम्हण परिवार में हुआ। कृष्णमूर्ति ने विश्व के कई हिस्से में यात्रा की और लोगों को शिक्षा दी और लोगों से शिक्षा हासिल की। उन्होंने अपना पूरा जीवन एक शिक्षक और एक छात्र के रुप में बिताया। साल 1986 में अमेरिका में कृष्णमूर्ति की मृत्यु हो गई।  

Created On :   3 Sept 2022 11:02 PM IST

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