मामले: अपहरणकर्ताओं और माता-पिता में समझौते पर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती : दिल्ली हाईकोर्ट

अपहरणकर्ताओं और माता-पिता में समझौते पर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती : दिल्ली हाईकोर्ट
  • दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
  • अपहरणकर्ताओं और नाबालिग बच्चे
  • माता-पिता के बीच समझौते

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि कथित अपहरणकर्ताओं और नाबालिग बच्चे के माता-पिता के बीच समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) के तहत दंडनीय अपराध के लिए 2017 में दिल्ली के भलस्वा डेयरी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार कर रही थी।

आरोपियों ने दलील दी थी कि मामला उनके और नाबालिग लड़की के माता-पिता के बीच सुलझ गया है और वर्तमान आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से कोई मकसद पूरा नहीं होगा। दलील दी गई कि आरोपी दंपत्ति बच्चे की देखभाल कर रहे थे और उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसका अपहरण कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि नरम रुख अपनाया जा सकता है क्योंकि आरोपी कुछ चिकित्सीय समस्याओं के कारण बच्चे के बायोलॉजिकल माता-पिता नहीं बन सके।

हालांकि, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपी निशा और कपिल को बच्चे के अपहरण के बारे में पता था क्योंकि उन्होंने आरोपी रूबीना से 20,000 रुपये में बच्चा खरीदा था और समाज के व्यापक हित में इस तरह के समझौते की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयान में नाबालिग लड़की ने बताया कि आरोपी रूबीना ने उसका और उसके छोटे भाई का अपहरण कर लिया था। फिर उसने उसे और उसके भाई को आरोपी कपिल और निशा को सौंप दिया था। नाबालिग लड़के ने शोर मचाया, इसलिए आरोपियों ने उसे वापस छोड़ दिया।

मौजूदा मामला अनोखी परिस्थितियों को पेश करता है। एक तरफ बेहद परेशान करने वाली स्थिति है जहां तीन साल की एक नाबालिग लड़की का उसके छोटे भाई के साथ अपहरण कर लिया गया और बाद में आरोपी ने उसे एक जोड़े को बेच दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक कृत्य अपने आप में परेशान करने वाला है। जटिलता की एक नई परत उभर कर सामने आई है। अपहृत बच्ची के माता-पिता ने हाल ही में आरोपी व्यक्तियों के साथ समझौता कर लिया है।

इसमें कहा गया है कि यह विचार कि एक बच्ची को लेनदेन के अधीन किया जा सकता है, जहां उसकी हिरासत पर बातचीत की जाती है जैसे कि यह संपत्ति का एक टुकड़ा था, कानून के शासन के सिद्धांतों को चुनौती देता है।

हाईकोर्ट ने कहा कि विचाराधीन अपराध को इस तथ्य से खत्म नहीं किया जा सकता है कि अपहरणकर्ताओं ने बच्ची की देखभाल की है। इस अदालत को वर्तमान एफआईआर और उससे उत्पन्न कार्यवाही को रद्द करने का कोई कारण नहीं मिला। वर्तमान याचिका खारिज की जाती है।

आईएएनएस

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   7 Dec 2023 5:48 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story