स्टेच्यू ऑफ वननेस: 2100 करोड़ रुपये की लागत से ओंकारेश्वर में 'एकात्म धाम' बनकर हुआ तैयार, आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का सोमवार को होगा अनावरण

2100 करोड़ रुपये की लागत से ओंकारेश्वर में एकात्म धाम बनकर हुआ तैयार, आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का सोमवार को होगा अनावरण
  • 2100 करोड़ रुपये की लागत से ओंकारेश्वर में 'एकात्म धाम' बनकर हुआ तैयार
  • आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का सोमवार को होगा अनावरण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में करीब 2100 करोड़ रुपये की लागत से 'एकात्म धाम' बनकर तैयार हो चुका है। धाम निर्माण का यह पहला फेज है। 18 सितंबर को एकात्म धाम का उद्धाटन कार्यक्रम है। यहां पर आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। 18 सितंबर के बाद लोग एकात्म धाम के दर्शन कर पाएंगे। आदि शंकराचार्य की ज्ञान स्थली ओंकारेश्वर की धरा पर होने वाले शंकरावतरणं नामक भव्य कार्यक्रम में प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। इसी के साथ सोमवार को यहां अद्वैत लोक शिलान्यास का पूजन भी होगा। आइए जानते हैं कि एकात्म धाम से जुड़ी खास बातों के बारे में...

गौरतलब है कि सनातन धर्म के पुनरुद्धारक, सांस्कृतिक एकता के देवदूत और अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रखर प्रवक्ता आचार्य शंकर के लिए यह 'एकात्म धाम' विकसित गया है। यहां आदि गुरु शंकराचार्य के जीवन और दर्शन के बारे में लोगों को बताया जाएगा।

दुनिया की सबसे ऊंची शंकराचार्य की प्रतिमा

ओंकारेश्वर में नर्मदा किनारे देश का चौथा ज्योतिर्लिंग मौजूद है। साथ ही, यह जगह शंकराचार्य की दीक्षा स्थली भी है, यहां पर वे अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से भी मिले और 4 वर्षों तक उन्होंने यहां विद्या का अध्ययन किया। बता दें कि, 12 वर्षों की आयु में शंकराचार्य ने ओंकारेश्वर से ही अखंड भारत में वेदांत के लोकव्यापीकरण के लिए प्रस्थान किया। यहीं वजह है कि आज ओंकारेश्वर में के मान्धाता पर्वत पर 12 वर्ष के आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना की गई है। ओंकारेश्वर में मौजूद यह प्रतिमा दुनिया में शंकराचार्य की यह सबसे ऊंची प्रतिमा है। ओंकार पर्वत पर अद्वैत वेदांत पीठ 28 एकड़ में फैला हुआ है। आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा को "स्टेच्यू ऑफ वननेस" नाम दिया गया है।

गुरु को खोजते हुए ओंकाररेश्वर पहुंचे थे शंकराचार्य

महज 8 वर्ष की उम्र में अपने गुरु को खोजते हुए आदि शंकराचार्य केरल से ओंकारेश्वर आए थे। यहां उन्होंने गुरु गोविंद मगवत्पाद से दीक्षा ली। इसके बाद शंकराचार्य ने पूरे भारतवर्ष में भ्रमण कर सनातन धर्म की चेतना लोगों के मन में जगाने का काम किया। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि गुरु शंकराचार्य का महत्वपूर्ण योगदान है।

कितना भव्य है एकात्म धाम

एकात्म धाम के अंतर्गत आचार्य शंकर की 108 फीट ऊंची 'एकात्मता की प्रतिमा' स्थापित की गई है। साथ ही, एकात्म धाम में अद्वैत लोक नाम से एक संग्रहालय और आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान भी बनाया गया है। शंकर संग्रहालय में आचार्य शंकर की जीवन यात्रा और सनातन धर्म के बारे में बताया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, यहां पर लेजर लाइट, वॉटर साउंड शो, आचार्य शंकर के जीवन पर फिल्म, सृष्टि नाम का अद्वैत व्याख्या केंद्र और एक अद्वैत नर्मदा विहार को बनाया जा रहा है। जो एकात्म धाम में आकर्षण का केंद्र बनेगा। यहां पर ग्रंथालय, विस्तार केंद्र, एक पारंपरिक गुरुकुल, दर्शन विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और कला पर केंद्रित चार शोध केंद्रों बनाए गए हैं।

अब 18 सितंबर को यहां एकात्मता की प्रतिमा का अनावरण होना है। इस प्रतिमा में आदि गुरु शंकराचार्य बाल स्वरूप में हैं। इस धाम को बनाने के लिए साल 2018 से ही तैयारी की जा रही है। इस दौरान पूरे मध्य प्रदेश में मूर्ति निर्माण के लिए एकात्म यात्रा निकाली गई थी। इस यात्रा के माध्यम से 27 हजार ग्राम पंचायतों से मूर्ति निर्माण को लेकर धातु को संग्रह किया गया था। साथ ही, इस धाम के निर्माण के लिए जागरण अभियान भी चलाया गया था।


Created On :   17 Sept 2023 8:45 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story