अटल बिहारी वाजपेयी जयंती: सियासी मन में छुपा एक कवि हृदय- ऐसा था अटलजी का काव्यमय संसार, यूं हुआ था राजनीति से मेल

सियासी मन में छुपा एक कवि हृदय- ऐसा था अटलजी का काव्यमय संसार, यूं हुआ था राजनीति से मेल
  • "शब्दों के जादूगर" अटल बिहारी वाजपेयी
  • "अटलजी की कविताएं" आज भी प्रेरणादायक
  • 16 अगस्त 2018 को ली थी अंतिम सांस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जीवन में सब कुछ वही नहीं होता जिसके बारे में हम सोचते हैं। कभी- कभी जीवन हमें उस मोड़ पर ले जाता है, जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की होती है। 'काल के कपाल' पर लिखने की मंशा रखने वाले अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। असल जीवन में अटल बिहारी को कवि बनने की इच्छा थी लेकिन समय की गति को तो कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो एक राजनेता बनेंगे। वो भारतीय राजनीति के एक महान नेता होने के साथ-साथ एक महान कवि भी थे। जिन्होंने न केवल देश की सेवा की, बल्कि अपनी साहित्य और कला से देशवासियों के बीच अपनी अलग पहचान भी बनाई। उनका जीवन एक ऐसे शख्सियत का उदाहरण है, जिसने राजनीति, समाजसेवा और साहित्य को एक साथ जोड़कर अपने अनोखे नजरिए से हमें प्रेरित किया।

उनकी कविताएं न केवल उनकी राजनीतिक यात्रा का हिस्सा थीं, बल्कि उनके जीवन के दर्शन और भावनाओं की गहरी परछाई भी थी। उनका कविता के प्रति प्रेम और उनका लेखन एक अनूठा पहलू था, जो उनके व्यक्तित्व को और भी रंगीन बनाता है। उनकी लिखी कविताएं न केवल उनकी आंतरिक दुनिया को व्यक्त करती थीं, बल्कि समाज के प्रति उनके विचार और दृष्टिकोण को भी व्यक्त करती थीं। तो ऐसे में चलिए, 25 दिसंबर उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनके कविताओं की दुनिया में ले जाते हैं। इस दिन को हम "सुशासन दिवस" के रूप में भी मनाते हैं।

अटल का कविता के प्रति जुड़ाव

अटल बिहारी वाजपेयी का कविता से गहरा नाता था। उनका कविता के प्रति ये प्रेम केवल एक शौक नहीं था, बल्कि उनकी आत्मा की आवाज थी। यही आवाज उन्हें गहरी राजनीतिक और व्यक्तिगत चुनौतियों से जूझने में मदद करती थी। उनका मानना था कि कविता केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि ये एक विचार, भावना और दृष्टिकोण का प्रसारण है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से हमेशा मानवता, प्रेम, शांति और समाज के विकास की बात की। कविता के माध्यम से ही उन्होंने भारत के लोकतंत्र, उसके संघर्ष और उसकी सामाजिक व्यवस्था को एक नया आकार दिया। उनके काव्य संग्रह "मैं और मेरी धरोहर" और "अटल की कविताएं" आज भी राजनीति और साहित्य के प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके शब्द, उनकी कविताएं हमें जीवन की सच्चाईयों और उसके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा देती हैं। कविता उनके लिए एक साधना थी, जिससे वे अपने आंतरिक संघर्षों और भावनाओं को बाहर निकालते थे। उन्होंने कविता को अपनी आत्मा की आवाज माना, जो उन्हें कठिन समय में भी जीवन की चुनौतियों का सामना करने की ताकत देती थी।

कविता के माध्यम से जीवन की गहरी समझ

अटल की कविताओं में उनकी गहरी सोच और भावनाओं का व्यक्तिकरण होता था। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से कभी अपने व्यक्तिगत संघर्षों, कभी अपने राजनीतिक दृष्टिकोण तो कभी समाज की दिशा को दर्शाया। जैसे उनकी प्रसिद्ध कविता "हमारे पास तुम हो" में वे प्रेम और एकजुटता की भावना को व्यक्त करते हैं। जबकि "आओ फिर से दिया जलाएं" में उन्होंने राष्ट्र निर्माण और संघर्ष की महत्ता पर बल दिया है। उनका कविता के प्रति ये गहरा प्रेम और समर्पण इसलिए भी था क्योंकि, वे मानते थे कि कविता केवल शब्दों का खेल नहीं होती। बल्कि, ये तो समाज को जागरूक करने और उसमें परिवर्तन लाने का एक मजबूत डोर है। राजनीति के मैदान में रहते हुए भी अटल ने कविता के माध्यम से समाज के कई अलग-अलग पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किए। उनकी कविताओं में निराशा नहीं, बल्कि आशा की किरण देखने को मिलती थी। यही उन्हें अपनी कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद करती थी।

कविता और राजनीति का संगम

ये बात तो सही है कि जब कोई राजनेता कवि होता है तो वो सिर्फ कविता ही नहीं लिखता। बल्कि, उनके लिखे गए शब्द देश के राजनैतिक इतिहास का एक हिस्सा होते हैं। अटल का जीवन केवल एक नेता का नहीं था, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति का था जिसने अपनी संवेदनाओं को राजनीति में भी व्यक्त किया। उनके शब्दों में हमेशा समाज के गरीब, असहाय और वंचित जाति के लिए सहानुभूति होती थी। उनकी कविताओं में ये दिखता था कि राजनीति केवल सत्ता पाने का माध्यम नहीं है। बल्कि, ये एक ऐसे उद्देश्य के लिए है जिससे समाज के हर जाति का भला हो सके। उनकी कविता में शांति, समानता, और इंसानियत का संदेश होता था। जैसे- उनकी लिखी कविता में "सपने हैं बड़े, मगर उम्मीदों का सूरज कभी अस्त न हो" जैसी पंक्तियां केवल उनके व्यक्तिगत जीवन की ही नहीं, बल्कि देश और दुनिया के लिए उनके दृष्टिकोण की भी गहरी अभिव्यक्ति थीं। ये पंक्तियां न केवल उनके काव्य रचना विचारों को दर्शाती थीं, बल्कि उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को भी स्पष्ट करती थीं।

अटल ने कभी भी जीवन को हार मानने का नहीं माना और उनकी कविताओं में ये बात साफ तौर पर झलकती थी। उनका जीवन इसी बात का प्रमाण है कि, राजनीति और साहित्य दोनों को संतुलित रख कोई भी व्यक्ति अपने विचारों और कार्यों से समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता रख सकता है।

Created On :   25 Dec 2024 12:08 AM IST

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