Varalakshmi Vrat 2024: कब है वरलक्ष्मी व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
- इस बार यह व्रत 16 अगस्त को पड़ रहा है
- व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है
- पूजा अर्चना करने से आर्थिक तंगी दूर होती है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सावन का महीने में कई व्रत और त्यौहार आते हैं। इनमें से एक है वरलक्ष्मी व्रत (Varalakshmi Vrat), जो सावन के अंतिम शुक्रवार को रखा जाता है। इस बार यह व्रत 16 अगस्त को पड़ रहा है। यह व्रत धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि, सावन के आखिरी शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और व्यक्ति धनवान होता है। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि और मुहूर्त...
पूजा का मुहूर्त
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 57 मिनट से 08 बजकर 14 मिनट तक
वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 50 मिनट से दोपहर 03 बजकर 08 मिनट तक
कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजकर 55 मिनट से रात 08 बजकर 22 मिनट तक
वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त: रात 11 बजकर 22 मिनट से रात 01 बजकर 18 मिनट तक
सुख और संपन्न्ता
यह व्रत सिर्फ विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं। कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत करना वर्जित बताया गया है। हालांकि परिवार के सुख और संपन्न्ता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं। यदि पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखें तो दोगुना फल प्राप्त होता है। व्रत के प्रभाव से जीवन के समस्त अभाव दूर हो जाते हैं। आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और व्रती के जीवन में धन का आगमन आसान हो जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये हैं श्री, भू, सरस्वती, प्रीति, कीर्ति, शांति, संतुष्टि और पुष्टि। अर्थात् वरलक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, ज्ञान, प्रेम, प्रतिष्ठा, शांति, संपन्न्ता और आरोग्यता आती है। इसे करने से सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।
व्रत एवं पूजा विधि
- स्नानाआदि से निवृत्त होने के बाद पूजा घर में साफ आसन पर बैठें।
- पूजा की चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- इसके बाद विधि विधान से दोनों की पूजा के बाद माता लक्ष्मी को श्रृंगार के 11 सामान अर्पित करें।
- पूजा के दौरान लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करें, इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- शाम के समय माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करें, उनको मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके बाद आरती करें।
- पूजा के बाद कन्या भोज करें, उनको मिठा भोजन कराएं और कुछ दान भी करें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   14 Aug 2024 12:35 PM IST