Skand Shashthi 2025: संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है स्कंद षष्ठी व्रत, जानें पूजा की विधि और मुहुर्त

संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है स्कंद षष्ठी व्रत, जानें पूजा की विधि और मुहुर्त
  • कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है
  • फाल्गुन महीने में स्कंद षष्ठी 04 मार्च को है
  • संतान सुख शांति के लिए रखा जाता है व्रत

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी (Skand Shashthi) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि, कार्तिकेय का एक नाम स्कंद कुमार भी है। इसके अलावा भगवान स्कंद के अन्य नाम मुरुगन, कार्तिकेयन और सुब्रमण्य हैं। स्कंद षष्ठी को कांडा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि, स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से आप के घर में व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है। इस दिन संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा जाता है और भगवान कार्तिकेय की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। फाल्गुन महीने में यह व्रत 04 मार्च 2025, मंगलवार को यानि कि आज है। आइए जानते हैं पूजा की विधि और मुहूर्त...

शुभ मुहूर्त

षष्ठी तिथि आरंभ: 04 मार्च 2025, मंगलवार की दोपहर 03 बजकर 16 मिनट से

षष्ठी तिथि समापन: 05 मार्च 2025, की दोपहर 12 बजकर 51 मिनट पर

जानिए स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व

ऐसा कहा जाता है कि, जो भी स्कंद षष्ठी व्रत करता है, उसे निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत को संतान सुख शांति के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से बच्चों की आयु लंबी होती है। स्कंद षष्ठी व्रत की कथा के मुताबिक ऋषि की आंखों की रोशनी चली गई थी, तो उन्होंने यह व्रत रखा था और भगवान कार्तिकेय की पूजा की थी। व्रत के प्रभाव से उनकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। दूसरी कथा में बताया गया है कि प्रियव्रत का मृत बच्चा इस व्रत को करने से दोबारा जीवत हो उठा था।

स्कंद षष्ठी की पूजा विधि

- एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।

- साथ ही शंकर-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित करें।

- इसके बाद भगवान कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें।

- पूजा शुरू करने से पहले गणेश वंदना करें।

- इसके बाद भगवान कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और नए वस्त्र चढ़ाएं।

- पुष्प या फूलों की माला अर्पित कर फल, मिष्ठान का भोग लगाएं।

- भगवान कार्तिकेय को मोर पंख भी अर्पित कर सकते हैं।

- अंत में स्कंद भगवान के मंत्र जाप करें और फिर आरती करें।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   4 March 2025 5:16 PM IST

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