Sheetala Saptami: शीतला सप्तमी 31 मार्च या 1 अप्रैल को, दूर करें असमंजस और नोट कर लें सही डेट
- बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखा जाता है
- माता शीतला को बासे भोजन का भोग लगाते हैं
- मीठे चावल को शीतला माता को चढ़ाया जाता है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी (Shitala Saptami) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर पूरी विधि विधान से मां शीतला की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि, शीतला सप्तमी व्रत से घर में सुख, शांति बनी रहती है। वहीं मां की आराधना से रोगों से मुक्ति मिलने के साथ और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। बता दें कि, मां शीतला को मां दुर्गा का ही अवतार माना जाता है।
चैत्र मास की शीतला सप्तमी को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। चूंकि, यह तिथि 31 मार्च 2024 को आरंभ हो रही है। ऐसे में कई स्थानों पर 31 मार्च को शीतला सप्तमी मनाई जा रही है। वहीं कई लोग 1 अप्रैल को ये व्रत रखने वाले हैं। क्या है सही तिथि, किस मुहूर्त में करें पूजा? और क्या है पूजा विधि? आइए जानते हैं...
सप्तमी तिथि कब से कब तक
तिथि आरंभ: 31 मार्च 2024, रविवार रात 09 बजकर 30 मिनट से
तिथि समापन: 01 अप्रैल 2024, सोमवार रात 09 बजकर 09 मिनट तक
कब रखें व्रत: उदय तिथि के अनुसार शीतला सप्तमी 1 अप्रैल को मनाई जाएगी।
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 42 मिनट तक
किस चीज का लगाएं भोग
इस दिन बच्चों की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए माता शीतला की पूजा की जाती है। इस दिन देवी शीतला को ठंडे व बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। दही, पुआ, रोटी, बाजरा नमक पारे और मठरी, हल्दी, चने की दाल आदि के साथ गन्ने के रस से बनाए गए मीठे चावल को शीतला माता को चढ़ाया जाता है।
इस विधि से करें पूजा
- सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर ठंडे पानी से नहाएं।
- व्रत का संकल्प लें और शीतला माता की पूजा करें।
- पूजा और स्नान के वक्त "हृं श्रीं शीतलायै नमः" मंत्र का मन में उच्चारण करते रहें, बाद में कथा भी सुनें।
- माता को भोग के तौर पर रात को बनाए मीठे चावल आदि चढ़ाएं।
- आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें।
- दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रख दें।
- अब शीतला माता की पूजा करें।
- मंदिर या घर में पूजा के बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें, वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं।
- यदि पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें।
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   30 March 2024 5:02 PM IST