शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन: मां कुष्मांडा की आराधना से होगी सुख सौभाग्‍य की प्राप्ति, जानिए पूजा विधि

मां कुष्मांडा की आराधना से होगी सुख सौभाग्‍य की प्राप्ति, जानिए पूजा विधि
  • मां कुष्मांडा को दुर्गा मां का चौथा स्वरूप माना है
  • आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
  • देवी की पूजा से सुख सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के तीन दिन बीते चुके हैं और अब बारी है चौथे दिन की, जो कि मां कुष्मांडा (Maa Kushmanda) को समर्पित है। माता का यह स्वरूप नौ अवतारों में से एक हैं। भगवती पुराण के अनुसार, त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सृष्टि की रचना का विचार किया था, लेकिन उस समय सम्पूर्ण ब्रह्मांड शांत था और चारों ओर अंधकार था। ऐसे में त्रिदेव ने सृष्टि की रचना के लिए मां दुर्गा से सहायता मांगी और फिर मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए इनका नाम कुष्‍मांडा पड़ा।

मां कुष्‍मांडा की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, देवी कुष्मांडा की उपासना शांत मन से और मधुर ध्वनि के साथ करनी चाहिए। उन्हें पीले फूल और वस्‍त्र अर्पित करने के साथ ही पीले फल, मिठाई और मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। मां कुष्मांडा की पूजा से ग्रहों के राजा सूर्य से उत्पन्न दोष भी दूर होते हैं। कैसा है मां का स्वरूप और कैसे करें पूजा, आइए जानते हैं...

कैसा है मां का स्वरूप

कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, जिनमें कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, शंख, चक्र, गदा और सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। मां के पास इन सभी चीजों के अलावा हाथ में अमृत कलश भी है। इनका वाहन सिंह है।

कैसे करें मां कूष्मांडा की पूजा?

- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर हरे या संतरी रंग के वस्त्र धारण करें

- पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें।

- मां कूष्मांडा को अपनी उम्र की संख्या के अनुसार हरी इलाइची अर्पित करें।

- हर इलाइची अर्पित करने के साथ "ॐ बुं बुधाय नमः" का जाप करें।

- इसके बाद सभी इलायची को एकत्रित करके हरे ​कपड़े में बांधकर नवरात्रि तक अपने पास रखें।

- आज के दिन माता को मालपुए बनाकर विशेष भोग लगाएं।

इस मंत्र का करें जाप

सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु में॥

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   5 Oct 2024 12:01 PM GMT

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