Rukmini Ashtami 2024: जानिए कौन थीं देवी रुक्मिणी? इस दिन कैसे करें देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण की पूजा
- श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था
- रुक्मिणी देवी लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं
- रुक्मिणी अष्टमी 23 दिसंबर को मनाई जाएगी
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी (Rukmini Ashtami) का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, द्वापर युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था, जो कि लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण की विधि विधान से पूजा करने पर आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। बता दें कि, इस पर्व को विशेष रूप से महाराष्ट्र, उत्तर भारत और दक्षिण भारत के क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
कौन थीं देवी रुक्मिणी?
पुराणों के अनुसार, देवी रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। उनका विवाह भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण से हुआ था, ऐसे में उन्हें देवी लक्ष्मी का रूप भी माना गया है। वहीं रुक्मिणी का भाई था रुक्मी, जो अपनी बहन यानि कि रुक्मिणी का विवाह अपने मित्र शिशुपाल से करवाना चाहता था। लेकिन रुक्मिणी श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं, इसलिए उन्होंने देवी रुक्मिणी का हरण कर लिया और द्वारिका ले आए। इसके बाद दोनों ने यहीं विवाह किया।
रुक्मिणी अष्टमी की तिथि
अष्टमी तिथि का आरंभ: 22 दिसंबर 2024, रविवार की दोपहर 2 बजकर 31 मिनट से
अष्टमी तिथि का समापन: अगले दिन 23 दिसंबर 2024, सोमवार की शाम 5 बजकर 7 मिनट पर
कब रखें व्रत:उदयातिथि के अनुसार रुक्मिणी अष्टमी का व्रत 23 दिसंबर को रखा जाएगा
इस विधि से करें पूजा
- रुक्मिणी अष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और भगवान की मूर्ति या प्रतिमा के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
- अब एक पात्र में श्रीकृष्ण और रुकमणी देवी की प्रतिमा को रखें और दक्षिणावर्ती शंख में स्वच्छ जल भरकर दोनों का जलाभिषेक करें।
- इसके बाद केसर मिश्रित दूध से दुग्धाभिषेक करें।
- श्रीकृष्ण और रुकमणी देवी के चरण स्वच्छ जल से धोएं।
- पैर धोने के जल में फूलों की पंखुड़ियां डालें।
- प्रतिमा का स्नान करवाते वक्त श्रीकृष्ण शरणम मम: या कृं कृष्णाय नम: का जाप करते रहें।
- पूजा में धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें, ध्यान रहे पूजा शुरू करने से पहले श्री गणेश को विराजित कर उन्हें फूल- फल और मिष्ठान अर्पित करें।
- श्रीकृष्ण और रुकमणी देवी को पंचामृत, तुलसीदल, पंचमेवा, ऋतुफल और मिष्ठान्न का भोग लगाएं।
- दोनों को खीर का भोग विशेष रूप से लगाएं और भोग की सभी सामग्री में तुलसी दल डालें।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं और आरती उतारें।
- शाम को फिर से इसी विधि-विधान से श्रीकृष्ण और रुकमणी देवी का पूजन करें।
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Created On :   21 Dec 2024 12:50 PM IST