Ravi Pradosh Vrat 2024: सौभाग्य और धन में वृद्धि के लिए इस विधि से करें महादेव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

सौभाग्य और धन में वृद्धि के लिए इस विधि से करें महादेव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
  • उत्तम स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है
  • प्रदोष काल में पूजा से भोलेनाथ प्रसन्न रहते हैं
  • 5 मई की शाम 06 बजकर 58 मिनट से मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भोलेनाथ की पूजा के लिए प्रदोष व्रत सर्वोत्तम व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। यानि कि एक महीने में यह व्रत दो बार आता है। दिन के नाम के अनुरूप इसका नाम अलग- अलग होता है। फिलहाल, वैशाख माह यह व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है और रविवार के दिन आने के कारण इसे रवि प्रदोष (Ravi Pradosh) कहा गया है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस महीने में प्रदोष व्रत 05 मई 2024 को रखा जा रहा है।

ऐसी मान्यता है कि, रवि प्रदोष व्रत करने से उत्तम स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति होती है। रवि प्रदोष व्रत से कोई भी भक्त अपने मन की इच्छा को बहुत जल्द पूरा कर सकता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष मुहूर्त में करने की परंपरा है। माना जाता है कि, प्रदोष काल के दौरान भगवान भोलेनाथ बहुत प्रसन्न रहते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि और मुहूर्त...

ति​थि कब से कब तक

तिथि आरंभ: 5 मई 2024, रविवार को शाम 05 बजकर 42 मिनट से

तिथि समापन: 6 मई 2024, सोमवार को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट तक

कब होगी पूजा: ज्योतिषाचार्य के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत 5 मई को ही रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त

शुभ मुहूर्त आरंभ: 5 मई की शाम 06 बजकर 58 मिनट से

शुभ मुहूर्त समापन: 5 मई की रात 09 बजकर 05 मिनट तक

पूजा विधि

- इस दिन व्रती सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हों।

- इसके बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाकर व्रत का संकल्प लें।

- अब एक वेदी पर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।

- इसके बाद पंचामृत से शिव जी का भाव के साथ अभिषेक करें।

- भोलेनाथ को चंदन और पार्वती माता को कुमकुम का तिलक लगाएं।

- भविान शिव को फल, खीर, मेवा, और सफेद मिठाई का भोग लगाएं।

- शिव चालीसा व शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें।

- पूजा के अंत में आरती करें।

- इसके बाद पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और प्रसाद वितरण करें।

पूजा में इस मंत्र का जाप करें

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   3 May 2024 11:11 AM GMT

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