गणपति जी को जल में ही क्यों किया जाता है विसर्जित, जानें मान्यता और शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, भोपाल। देशभर में गणपति महोत्सव खत्म होने को है। हर जगह "गणपति बप्पा मोरया" के जयकारे गुज रहे हैं। अब समय आ चुका है गणपति जी की विदाई का जिस में गणपति जी का विसर्जन कर उनको विदा किया जाता है, और अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना की जाती है। 10 दिन तक बप्पा को घर में रखने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का जल में विसर्जन किया जाता है। इस साल गणपति विसर्जन 9 सितंबर को किया जाएगा। घर में 10 दिनों तक रहने के बाद बप्पा की विदाई भक्तों को उदास कर देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं गणपति को जल में ही क्यों विसर्जित किया जाता है? तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की कहानी
गणेश विसर्जन की कहानी
गणेश महोत्सव का आखिरी दिन गणेश विसर्जन की परंपरा है। 10 दिनों तक चलने वाला ये महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के बाद खत्म हो जाता है। परंपरा है कि विसर्जन के दिन गणपति की मूर्ति जल में विसर्जित की जाए। इस परंपरा को लेकर एक दिलचस्प कहानी भी है। ऐसा माना जाता है कि श्री वेद व्यास जी ने गणपति जी को गणेश चतुर्थी के दिन से महाभारत की कथा सुनानी शुरू की थी, उस समय गणेश जी उसे लिख रहे थे। कहानी सुनाने के दौरान व्यास जी आंख बंद करके गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक कथा सुनाते रहे और गणपति जी लिखते गए। कथा खत्म होने के 10 दिन बाद जब व्यास जी ने आंखे खोली तो देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया था। फिर व्यास जी ने गणेश जी के शरीर को ठंडा करने के लिए जल में डुबो दिया। तभी से यह परंपरा बन गई की 10वें दिन गणेश जी को ठंडा करने के लिए जल में विसर्जन किया जाएगा।
गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त
9 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का विसर्जन किया जाएगा। इसके लिए तीन शुभ मुहूर्त हैं. पहला सुबह 6 बजकर 3 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक है। दूसरा शुभ मुहूर्त 12 बजकर 18 मिनट से लेकर 01 बजकर 52 मिनट तक है। जबकि तीसरा शुभ मुहूर्त शाम 5 बजे से लेकर शाम 6 बजकर 31 मिनट तक है। इन तीनों में से किसी भी मुहूर्त में आप अपनी सुविधानुसार बप्पा का विसर्जन कर सकते हैं।
डिसक्लेमरः ये जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर बताई गई है। भास्कर हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है।
Created On :   8 Sept 2022 7:07 AM GMT