वरुथिनी एकादशी: इस दिन नहीं करना चाहिए ये काम, जानें पूजा विधि

Varuthini Ekadashi: This work should not be done on this day, learn pooja method
वरुथिनी एकादशी: इस दिन नहीं करना चाहिए ये काम, जानें पूजा विधि
वरुथिनी एकादशी: इस दिन नहीं करना चाहिए ये काम, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। वहीं वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी इस वर्ष 07 मई, शुक्रवार को है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होची है। इसलिए इस दिन भगवान श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से जातक को उसके सभी पापों कर्मों से मुक्ति मिलती है। 

हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 06 मई को दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से 07 मई की शाम 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। जबकि द्वादशी तिथि 08 मई को शाम 05 बजकर 35 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

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इस दिन ना करें ये काम
इस दिन जुआ खेलना, नींद, पान, दातुन, परनिन्दा, क्षुद्रता, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा झूठ का त्याग करना चाहिए। यही नहीं इस दिन व्रती को मांस, मछली, लहसुन, प्याज और चावल नहीं खाना चाहिए। माना जाता है कि प्याज, लहसुन तामसिक होता है. इन चीजों को खाने से मन में अशुद्ध आती है। 

भविष्योत्तर पुराण में भी कहा गया है :-
कांस्यं मांसं मसूरान्नं चणकं कोद्रवांस्तथा। शाकं मधु परान्नं च पुनर्भोजनमैथुने।।

अर्थात्:-
कांस्य पात्र, मांस तथा मसूर आदि का इस एकादशी पर ग्रहण नहीं करें। इस एकादशी को उपवास करें और इस दिन जुआ और घोरनिद्रा आदि का त्याग करें।

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पूजा विधि
- वरुथिनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें।
- दैनिक नित्यक्रिया के बाद स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
- पूजा स्थान पर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। 
- गंगा जल से अभिषेक कराएंं। 
- अब पीले फूल, अक्षत्, धूप, चंदन, रोली, दीप, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें। 
- इसके बाद श्रीहरि को पीले मिष्ठान या चने की दाल तथा गुड़ का भोग लगाएं।
- इसके बाद भगवान की आरती करें।

Created On :   6 May 2021 5:40 AM GMT

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