वरुथिनी एकादशी: आज इस व्रत को करने से खुलेगा मोक्ष का द्वार, जानें पूजा विधि
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी मनाई जाती है, जो कि इस वर्ष 18 अप्रैल यानी कि आज शनिवार को है। पुराणों में इस एकादशी में बहुत महत्व बताया गया है। इस व्रत को करने से जातक को उसके सभी पापों कर्मों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, वरूथिनी एकादशी का व्रत धारण करने से एक दिन पहले अर्थात् दशमी तिथि से ही उपवास रखने वाले व्यक्ति को नियमों का अनुपालन करना पड़ता है। आइए जानते हैं इस एकादशी से जुड़ी खास बातें...
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महत्व
शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है और सुख की प्राप्ति होती है।
सूर्य ग्रहण के समय दान करने से जो फल प्राप्त होता है, वही फल इस व्रत को करने से प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से मनुष्य लोक और परलोक दोनों में सुख पाता है और अंत समय में स्वर्ग जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को हाथी के दान और भूमि के दान करने से अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी व्रत की महिमा का पता इसी बात से चलता है कि सभी दान में सबसे उत्तम तिलों का दान माना गया है और तिल दान से भी श्रेष्ठ स्वर्ण दान कहा गया है। स्वर्ण दान से भी अधिक शुभ फल इस एकादशी का व्रत को करने से मिलता है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से विष्णु भगवान हर संकट से भक्तों की रक्षा करते हैं।
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इन बातों का रखें ध्यान
- व्रती को इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
- व्रती को नॉन वेज, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्जी और शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन व्रतियों को पान खाने और दातुन करने की मनाही है।
- इस दिन दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए, ना ही किसी तरह का कुकर्म इस दिन करना चाहिए।
- व्रत में क्रोध करना या झूठ बोलना भी मना ही है।
- व्रती को दूसरों की निन्दा तथा अधर्मी लोगों की संगत से भी बचना चाहिए।
- जातक को इस रात को सोना नहीं चाहिए, अपितु जातक के परिवार के जनों को रात्रि में ईश्वर भजनों से जागरण करना चाहिए।
Created On :   15 April 2020 11:09 AM IST