चंद्रमा के बुरे प्रभावों से बचने के लिए करें करें ये व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

Varuthini Ekadashi 2023: Know auspicious time and method of worship
चंद्रमा के बुरे प्रभावों से बचने के लिए करें करें ये व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
वरुथिनी एकादशी 2023 चंद्रमा के बुरे प्रभावों से बचने के लिए करें करें ये व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का काफी खास महत्व बताया गया है। वहीं वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह 16 अप्रैल यानी कि रविवार को पड़ रही है। इस व्रत को करने से जातक को उसके सभी पापों कर्मों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषाचार्य की मानें तो एकादशी का व्रत रखने से चंद्रमा के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।  

इस दिन जुआ खेलना, नींद, पान, दातुन, परनिन्दा, क्षुद्रता, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा झूठ को त्यागने का विशेष माहात्म्य होता है। यह कुकर्म त्यागने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस एकादशी के व्रत को करने वाले को हविष्यान भोजन करना चाहिए तथा जातक के परिवार के जनों को रात्रि में ईश्वर भजनों से जागरण करना चाहिए।

भविष्योत्तर पुराण में भी कहा गया है 
कांस्यं मांसं मसूरान्नं चणकं कोद्रवांस्तथा। शाकं मधु परान्नं च पुनर्भोजनमैथुने।।

अर्थात्:-
कांस्य पात्र, मांस तथा मसूर आदि का इस एकादशी पर ग्रहण नहीं करें। इस एकादशी को उपवास करें और इस दिन जुआ और घोरनिद्रा आदि का त्याग करें।

शुभ मुहूर्त 
तिथि आरंभ: 15 अप्रैल 2023, शनिवार रात 08 बजकर 45 मिनट से
तिथि समापन: 16 अप्रैल 2023, रविवार शाम 06 बजकर 14 मिनट तक
पारण का समय: 17 अप्रैल 2023, सोमवार सुबह 05 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 28 मिनट तक

महत्व
वरुथिनी एकादशी व्रत की महिमा का पता इसी बात से चलता है कि सभी दान में सबसे उत्तम तिलों का दान माना गया है और तिल दान से भी श्रेष्ठ स्वर्ण दान कहा गया है। स्वर्ण दान से भी अधिक शुभ फल इस एकादशी का व्रत को करने से मिलता है, ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।

वरुथिनी एकादशी व्रत कथा 
एकबार प्राचीन काल में नर्मदा तट पर मांधाता नामक राजा राज करता था। वह राजा अत्यन्त ही दानशील और तपस्वी राजा था। एक दिन तपस्या करते समय वह जंगली भालू राजा मांधाता का पैर चबाने लगा। कुछ देर बाद भालू राजा को घसीटकर वन में ले गया। राजा घबराकर विष्णु भगवान से प्रार्थना करने लगा। भक्त की पुकार सुनकर विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से भालू का वधकर अपने भक्त की रक्षा की। भगवान विष्णु ने राजा मांधाता से कहा− हे वत्स् मथुरा में मेरी वाराह मूर्ति की पूजा वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर करो। उसके प्रभाव से तुम पुनः अपने पैरों को प्राप्त कर सकोगे। यह तुम्हारा पूर्व जन्म का अपराध था जो भालू के द्वारा मिला अब इस दोष को दूर करने के लिए वरुथिनी एकादशी का व्रत पूजा करो। 

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   15 April 2023 6:08 AM GMT

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